महाराष्ट्र के कृषि मंत्री पांडुरंग फुंडकर का हार्ट अटैक से निधन
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और महाराष्ट्र के कृषिमंत्री पांडुरंग पी. फुंडकर का गुरुवार को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया;
मुंबई। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और महाराष्ट्र के कृषिमंत्री पांडुरंग पी. फुंडकर का गुरुवार को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। फुंडकर 67 साल के थे। बुधवार को दिल का दौरा पड़ने पर उनको के.जे. सोमैया अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। गुरुवार को सुबह 4.35 बजे वह चल बसे।
उनके परिवार में उनकी पत्नी सुनीता और दो संतान हैं, जिनमें एक पुत्र आकाश खामगांव से विधायक हैं।
फुंडकर का पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव विदर्भ के बुल्धाना जिला स्थित खामगांव ले जाया गया, जहां शुक्रवार को उनका अंतिम संस्कार होगा।
बेहतरीन संगठन कौशल वाले मृदुभाषी और मेहनती नेता फुंडकर तीन बार सांसद रहे। वह नौंवी, 10वीं और 11वीं लोकसभा में अकोला से सांसद थे। राज्य में विधायक और विधान परिषद सदस्य के रूप में उनकी राजनीतिक यात्रा का आरंभ 1978 में उनके पहली बार चुने जाने से शुरू हुई।
फुंडकर 1991-1996 तक महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रहे। पूर्व भाजपा नेता दिवंगत गोपीनाथ मुंडे व अन्य की तरह वह जमीन से जुड़े हुए नेता थे।
छत्रपति शिवाजी महाराज कृषि सम्मान योजना हो या 2017 में किसानों के 34,000 करोड़ रुपये का कर्ज माफ करने की बात हो, मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस के मंत्रिमंडल में जुलाई 2016 से फुंडकर ने अहम भूमिका निभाई।
देश व राज्य के भाजपा नेताओं के अलावा विपक्ष के नेताओं ने फुंडकर को श्रद्धांजलि दी।
फड़णवीस ने कहा, "उनका निधन दुखद है। वह वरिष्ठ नेता, मार्गदर्शक और कृषि, सहकारिता व अन्य क्षेत्रों के जानकार के रूप में परामर्शदाता थे।"
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट के जरिए शोक जाहिर करते हुए कहा, "महाराष्ट्र के कृषि मंत्री पांडुरंग फुंडकर के निधन से दुखी हूं। महाराष्ट्र में भाजपा को बनाने में उनका अमूल्य योगदान रहा। वह राज्य में किसानों की सेवा करने वालों में सबसे आगे थे। मेरा संवदेनाएं उनके परिवार व समर्थकों के साथ हैं।"
राज्यपाल सी.वी. राव ने अपने शोक संदेश में कहा, "उनके निधन से महाराष्ट्र ने एक अच्छे व संसदीय मामलों में दक्ष व्यक्ति को खो दिया।"
विपक्षी दल कांग्रस के प्रदेश अध्यक्ष अशोक चव्हाण ने कहा, "राज्य ने एक वरिष्ठ व अनुभवी नेता को खो दिया, जिन्होंने कृषि, ग्रामीण विकास व सहकारिता से जुड़े मसलों का उठाया।"