जीवन शैली में बदलाव की जरूरत : नायडू

उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने प्रकृति और मानवीय जरूरत के बीच संतुलन बनाने पर बल देते हुए सोमवार को कहा कि मानव जाति को जीवन शैली में बदलाव लाने की जरूरत है।;

Update: 2020-05-18 18:24 GMT

नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने प्रकृति और मानवीय जरूरत के बीच संतुलन बनाने पर बल देते हुए सोमवार को कहा कि मानव जाति को जीवन शैली में बदलाव लाने की जरूरत है।

श्री नायडू ने सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट फेसबुक पर लिखे एक लेख ने कहा कि कोरोना महामारी से पूरी दुनिया घुटनों पर है। यह इसका साफ संकेत है कि मानव जाति को अपना अस्तित्व बचाने के लिए अपनी जीवनशैली में आमूलचूल बदलाव करना होगा। उन्होंने कहा कि महामारी ने जीवन शैली के बारे में सोचने के लिए विवश कर दिया है .आर्थिक गतिविधियां अगर गलत दिशा में हो तो वह भयंकर परिणाम ला सकती है।

उन्होंने कहा कि यह इसका भी संकेत है कि सह- अस्तित्व के बीच ही जीवन संभव है .उन्होंने 12 सूत्रों का उल्लेख करते हुए कहा कि कोरोना जैसी महामारी से निपटने के लिए जीवन के प्रति सोच और आर्थिक गतिविधियों के तरीके में बदलाव लाना आवश्यक होगा । जीवन एकांत में संभव नहीं है लेकिन कोरोना महामारी का प्रकोप मिलने जुलने से ज्यादा फैलता है इसलिए ऐसी रास्ते तलाशने होंगे जिससे जीवन भी संभव हो जाए और प्रकोप को भी रोका जा सके।  मास्क लगाना, चेहरा ढकना , हाथ साफ रखना, एक दूसरे को नहीं छूना और स्वच्छता बनाए रखना नए तरीके होंगे।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि कोरोना वायरस ने साबित कर दिया है कि जीवन में तुरंत बदलाव हो सकता है इसलिए प्रकृति और अन्य जीवो के प्रति सद्भाव आवश्यक है।  उन्होंने कहा कि कोरेना वायरस का मुद्दा व्यक्तिगत नहीं है बल्कि मानव सभ्यता का है।  इसलिए मौजूदा सभ्यता बचाने के उपाय किए जाने चाहिए और इसी दिशा में प्रयास होने चाहिए। 
उन्होंने कहा, " जीवन को लंबे समय तक बंदी नहीं रखा जा सकता ।  हमें नए तरीके खोजने होंगे।  एच आई वी- एड्स की लंबे समय तक कोई भी दवा उपलब्ध नहीं हुई लेकिन आदतों में बदलाव करके इस चुनौती का सामना किया गया। 

उन्होंने कहा कि नई परिस्थिति से निपटने के लिए सकारात्मक सोच अपनानी होगी और यह भरोसा रखना होगा कि विज्ञान के जरिए कोराना की समस्या पर काबू पाया जा सकता है। देर सबेर विज्ञान इसकी कोई दवाई खोज लेगा ।
श्री नायडू ने मीडिया से अपील करते हुए कहा कि घटनाओं की सही जानकारी दी जानी चाहिए।  इस बीमारी को त्रासदी की तरह पेश नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि लोगों को नए तरीके से जीना चाहिए और सुरक्षित रहना चाहिए।
 

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