वकीलों ने इलाहाबाद हाई कोर्ट की बेंच के खिलाफ किया कार्य का बहिष्कार

 इलाहाबाद उच्च न्यायालय के वकील पश्चिमी उत्तर प्रदेश में उच्च न्यायालय की बेंच बनाने के विरोध में आज न्यायिक कार्य से विरत रहे।;

Update: 2018-04-06 15:30 GMT

इलाहाबाद। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के वकील पश्चिमी उत्तर प्रदेश में उच्च न्यायालय की बेंच बनाने के विरोध में आज न्यायिक कार्य से विरत रहे।

हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष इन्द्र कुमार चतुर्वेदी ने बताया कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के वकीलों का एक प्रतिनिधिमण्डल केन्द्रीय कानून मंत्री पर पश्चिमी यूपी में बेंच बनाने को लेकर दबाव बना रहा है लेकिन उच्च न्यायालय के अधिवक्ता किसी भी सूरत में उच्च न्यायाल के बंटवारे को बर्दाश्त नहीं करेगा।

 चतुर्वेदी के नेतृत्व में अधिवक्ताओं ने उच्च न्यायालय से लेकर “ हाईकोर्ट हमारा, प्राणों से प्यारा है, हाई कोर्ट बंटवारा, हमको नहीं गंवारा, क्षेत्राधिकार नहीं बंटेगा, नहीं बटेंगा, नहीं बटेंगा” लिखी हुयी तख्ती लेकर शांतिपूर्ण सुभाष चौक तक मार्च किया।

उन्होने बताया कि 2015 में केन्द्रीय विधि मंत्री ने इलाहाबाद उच्च न्यालय को क्षेत्राधिकार बढाने के लिए एक सहमति पत्र भेजा था जिसे न्यायालय ने नामंजूर कर दिया।

उन्होंने बताया कि उच्चतम न्यायालय का कहना है कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय और इसकी लखनऊ पीठ में कोई छेडछाड नहीं किया जाये। उन्होंने कहा कि संस्था एक है और इसका विखंडन होने से न्यायिक प्रथा पर कई प्रकार की विसंगतियां उत्पन्न होती है।

अध्यक्ष ने कहा कि प्रधानमंत्री और केन्द्रीय विधि मंत्री से मुलाकात करने के लिए मेल भेजा है। मुलाकात का समय निर्धारित होने पर प्रतिनिधिमंडल दल शीघ्र मुलाकात सभी प्रकार की विसंगतियों पर स्थिति को स्पष्ट किया जायेगा। मुलाकात के बाद जो भी निर्णय होगा उसके अनुरूप कार्य किया जायेगा।

उन्होंने कहा कि हम उच्च न्यायालय को किसी भी रूप में बंटने नहीं देंगे। इसी को लेकर तीन महीने पहले भी एक दिन का सांकेतिक हड़ताल किया गया था। वकीलों का कहना है कि जब संविधान में यह व्यवस्था है कि एक राज्य में एक उच्च न्यायालय होगा तो ऐसे में पश्चिमी यूपी में न्यायालय की बेंच बनाने का कोई औचित्य नहीं है और न ही इस पर विचार किया जाना चाहिए। बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने इस मुद्दे पर विरोध स्वरूप सांकेतिक कार्य के बहिष्कार किया।

वकीलों का कहना है कि वह इस गंभीर मुद्दे पर नजर रखे हुये हैं। उन्होंने कहा कि यदि यह मुद्दा सरकार के निर्णय पर आधारित होगा तो वे अपने आन्दोलन को और तेज करेंगे और इसे जनान्दोलन में बदलने की पुरजोर कोशिश करेंगे।

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