छोटे दलों की 'नसीहत' के कारण राजग में बडे दल पसोपेश में
बिहार सरकार में छोटे दलों की 'नसीहत' के कारण सत्ताधारी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में बडे दल पसोपेश में है;
पटना। बिहार सरकार में छोटे दलों की 'नसीहत' के कारण सत्ताधारी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में बडे दल पसोपेश में है। इन नसीहतों के कारण दलों में तनातनी भी बढ़ गई है। सरकार में शामिल हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) और राजग में सबसे घटक दल भारतीय जनता पार्टी (भााजपा) में तनातनी पहले से ही बनी हुई है। हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के प्रमुख जीतन राम मांझी विभिन्न मुद्दों को लेकर सरकार को नसीहत देकर परेशानी में डाल चुके हैं । अब एक अन्य छोटे दल विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) ने भी विधान सभा के सदस्यों और बिहार विधान परिषद के सदस्यों के राशि से लिया गया पैसा वापस करने की मांग कर सरकार के लिए 'टेंशन' पैदा कर दी है।
मांझी की पार्टी ने तो यहां तक कह दिया भाजपा के कुछ नेता सरकार को अस्थिर करने की कोशिश कर रहे है। हम ने राजग के लिए कोऑर्डिनेशन कमेटी बनाने तक की मांग कर दी।
इस बीच, मांझी ने शुक्रवार को जातिगत आधार जनगणना की मांग कर दी है। मांझी ने अपने अधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर लिखा, '' वर्तमान स्थिति में देश की जनगणना आवश्यक है परन्तु कोरोना के कारण जनगणना कार्य को रोककर रखा गया है। देश में जब चुनाव हो सकते हैं तो जनगणना से परहेज क्यों?''
उन्होंने मांग करते हुए आगे लिखा कि भारत सरकार से अनुरोध है कि 10 वर्षीय जनगणना के साथ-साथ जाति आधारित जनगणना अविलंब शुरू किया जाए।
इससे पहले मांझी ने बिहार के विशेष राज्य का दर्जा की भी मांग कर केंद्र सरकार पर दबाव बढ़ा दिया है।
इधर, वीआईपी के प्रमुख और मंत्री मुकेश सहनी ने हालांकि आंतरिक बयानबाजी बंद करने की सलाह दी लेकिन उन्होंने 19 लाख लोगों को रोजगार देने का मुद्दा उठा दिया है।
सहनी ने अपने अधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर लिखा, '' राजग के साथीगण से अनुरोध है कि अनावश्यक बयानबाजी से बचें । हम सब मिलकर बिहार की जनता से किए गए 19 लाख रोजगार के वादा पर काम करे।''
सहनी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को एक पत्र लिखकर बिहार विधान सभा के सदस्यों और बिहार विधान परिषद के सदस्यों के राशि से लिया गया पैसा वापस करने की मांग की है।
सहनी ने अपने पत्र में लिखा कि 2020 से लेकर अब तक जनप्रतिनिधि के क्षेत्र का विकास कार्य थम सा गया है। अब जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यों को मुफ्त वैक्सीन देने की घोषणा कर दी है, तो ऐसी स्थिति में मुख्यमंत्री यदि क्षेत्रीय विकास मद के ऐच्छिक कोष की राशि इस्तेमाल करने की शक्ति विधायकों को देते हैं, तो विधायक अपने क्षेत्र का विकास कार्य कर सकेंगे और चिकित्सा सुविधा को बेहतर बनाने में मदद कर सकेंगे।
उल्लेखनीय है कि नीतीश सरकार ने कोरोना के दूसरे संकमण को देखते हुए विधायकों और विधान पार्षदों के फंड से 2-2 करोड़ रुपए लिए हैं।
बहरहाल, छोटे दलों की मांग के बाद राजग के लिए परेशानी बढ गई है। विपक्ष भी इन्हीं मुद्दों को जरिए सरकार पर निशाना साधते रही है। अब सरकार में शामिल दलों द्वारा ही इन प्रश्नों को उठाए जाने के बाद राजग पसोपेश में है। अब देखने वाली बात है कि राजग के रणनीतिकार इन छोटे दलों से कैसे निपटते हैं।