वन भूमि कब्जाने वाला भू माफिया संकट में, भोपाल से आई टीम का रवैया सख्त
मध्य प्रदेश में सुशासन की एक काली तस्वीर ऐसी भी है जहां भू माफियाओं को चारों ओर फैली हुई वन भूमि सरकारी भूमि और चढ़ने हुई की भूमि को कब्जा कर खुर्द करने की खुली छूट मिली हुई है;
By : देशबन्धु
Update: 2024-03-16 22:57 GMT
ग्वालियर। मध्य प्रदेश में सुशासन की एक काली तस्वीर ऐसी भी है जहां भू माफियाओं को चारों ओर फैली हुई वन भूमि सरकारी भूमि और चढ़ने हुई की भूमि को कब्जा कर खुर्द करने की खुली छूट मिली हुई है बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या बिना राजनीतिक आशीर्वाद के यह भूमिया इतनी हिम्मत कर सकते हैं क्योंकि ऐसे ज्यादातर मामलों में संबंधित विभाग भी कार्यवाही करने से बचते हैं।
ऐसा ही एक मामला वन विभाग ग्वालियर का है जहां सिटी सेंटर में स्थित वन विभाग के f33 क्षेत्र की भूमि पर कब्जा कर भू माफिया द्वारा कालोनी काटी जा रही है देशबंधु ने भी यह मुद्दा प्रमुखता से उठाया था जिसके बाद कलेक्टर अक्षय कुमार सिंह के आदेश पर वन विभाग व जिला प्रशासन किया संयुक्त टीम में मौके पर निरीक्षण किया था केंद्र निरीक्षण खाना पूर्ति बनकर रह गया।
अभी हाल ही में जब वन मंडल भोपाल को इस मामले में अपनी किरकिरी होती दिखाई दी तो उन्होंने एक संयुक्त टीम सीएफएफ राखी नंदा के नेतृत्व में ग्वालियर भेजी। टीम ने बहुत बारीकी से सभी दस्तावेजों का निरीक्षण किया राखी नंदा ने देशबंधु संवाददाता को बताया कि मामला बहुत पेचीदा है क्योंकि कई सारे कागजों में भिन्नता पाई गई है लेकिन यह भिन्नता कैसे हुई जब इस बारे में उनसे पूछा गया कि इसमें विभाग के अधिकारियों की कितनी सन्निता है तो उन्होंने फिलहाल इस बारे में कुछ भी कहने से इनकार कर दिया लेकिन उन्होंने यह जरूर स्वीकार किया कि वन विभाग की लगभग 1.65 हेक्टेयर जमीन को भूमाफियाओं ने कब्जा कर लिया है और उन्होंने शीघ्र ही वन विभाग द्वारा इस पर कार्रवाई की बात भी कहीं।
आपको बता दें कि इस गड़बड़ झाला में भू माफिया और वन विभाग के अधिकारियों की इतनी बड़ी सांठ-गाठ है कि जब जिला प्रशासन और वन विभाग की संयुक्त टीम वहां मौके पर रोवर मशीन से जांच-पड़ताल कर रही थी उसे समय भी वन विभाग के अधिकारियों ने साफ कह दिया यह जमीन वन विभाग की नहीं है। भू माफियाओं को जमीन कब्जा करने की खुली छूट देने के इस मामले में वन विभाग के तमाम सारे अधिकारियों की मिली भगत की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। अब देखना होगा कि भोपाल से आई टीम इस मामले को कितनी गंभीरता से लेती है? और इस भूमि को भूमिया से मुक्त कर भूमिया पर क्या जुर्माना लगती है? और साथ ही इस मामले में लिफ्ट वन विभाग के अधिकारियों पर क्या कार्यवाही होती है?