मेडिकल कॉलेज अस्पताल में ब्लड की कमी

मेडिकल कॉलेज संबंध जिला चिकित्सालय में मरीजों के परिजनों को अनावश्यक ब्लड की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए घुमाया जाता है;

Update: 2018-04-08 15:34 GMT

रायगढ़। मेडिकल कॉलेज संबंध जिला चिकित्सालय में मरीजों के परिजनों को अनावश्यक ब्लड की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए घुमाया जाता है। जिला चिकित्सालय से ब्लड लेना टेड़ी खीर। अस्पताल के डॉक्टरों और स्टाफ का इतना घुमाया जाता है कि मरीजों के परिजनों को सीधे मुंह बात करना अपना तोहिन समझते हैं। मरीज तड़पते मर भी जाए इनको कोई फर्क नहीं पड़ता समझो मानवता मर चुकी है।

खून चाहिए तो इधर से उधर भटकने के लिए तैयार रहिए खून के लिए एक कमरे से दुसरे कमरे अनुमति के लिए चक्कर काटिए तो कभी केजुअल्टी तो कभइी कमरा नंबर 31 तो कभी कमरा नंबर 32 का चक्कर काटिए लेकिन जरूरी नही है कि आपको खून इतना करने के बाद भी मिल ही जाए। नहीं मिले तो मरीजों को तड़पते देखते रहिए। गऱीब बेबस लाचार। वक्त का मारा आदमी का कोई सुनने वाला नहीं है मेरे भाई।

मरीज कहीं बाहर ईलाज करा रहा है और खून की जरूरत पड़ गई तो एक कमरे से दूसरे कमरे अनुमति लेने के लिए भटकते रहिए और तो ओर आपको बंद दरवाजे के बाहर घंटों इंतजार करना तो पड़ेगा ही साथ ही डाक्टरों और नर्सों की झिकझिक सुनने के लिए तैयार रहिए क्यों अस्पतालों में मरीजों को जुबानी बोनस का भी लाभ मिलता है।

खास बात यह है कि मेडिकल कॉलेज के कुछ डॉक्टर्स अस्पताल की छवि को साफ सुथरा और बिना लेनदेन और बिना परेशान हुए सारी सुविधाएं देने में अपनी पूरी कोशिश के साथ जी जान लगा देते हैं वहीं दुसरी ओर कुछ ऐसे भी हैं जो मेडिकल कॉलेज अस्पताल की छवि को सिर्फ और सिर्फ अपने स्वार्थ के लिए धूमिल करने से बाज नहीं आ रहे हैं।

ऐसा सिर्फ एक दिन का मामला नहीं है आज ऐसी ही एक घटना तब घटित हुई जब एक शासकीय कर्मचारी अपने परिवार के एक बिमार सदस्य के लिए ब्लड बैंक पहुंच कर खून लेना चाहा इसके बाद उसे एक दर से दुसरे दर जिस तरह से भटकना पड़ा और अंत तक उसे ब्लड बैंक से खून नहीं मिल सका। ऐसे में परेशान होकर वह दुसरा रास्ता अख्तियार कर खून की व्यवस्था किया।

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