शराब से मां की मौत, पिता ने घर छोड़ा बच्चे भी नशेड़ी

कोरबा ! शराब की लत ने एक परिवार की खुशियां इस कदर छीनी है कि उसके 4 मासूम बच्चे बेसहारा होकर पिता और रिश्तेदारों के जीवित रहते हुए भी मोहताज बने हुए हैं। यह;

Update: 2017-03-29 22:42 GMT

बेसहारा हुए 4 भाई-बहनों को बस्तीवासियों की मदद
कोरबा !  शराब की लत ने एक परिवार की खुशियां इस कदर छीनी है कि उसके 4 मासूम बच्चे बेसहारा होकर पिता और रिश्तेदारों के जीवित रहते हुए भी मोहताज बने हुए हैं। यह तो बस्तीवासियों की रहमदिली है कि इन मासूमों को सहारा देकर गलत हाथों में जाने से बचा रखे हैं, लेकिन दो मासूम बेटों को भी बोनफिक्स का नशा की लत लग जाने से इनके और दो मासूम बच्चियों के भविष्य के प्रति चिंता भी है।
यह मामला कोतवाली थाना क्षेत्र के श्रम बाहुल्य गेरवाघाट बस्ती वार्ड क्रमांक 2 का है। यहां रहकर हमाली करने वाले जमीर अहमद ऊर्फ राजू ने नाजमा बी. खान ऊर्फ उत्तरा से अंतरजातीय विवाह वर्षों पूर्व किया था। इनकी घर-गृहस्थी तो बस गई और रोजी-रोटी के फेर में हाड़ तोड़ मेहनत से भी ये जी नहीं चुराते थे। हालांकि जमीर को शुरू से शराब पीने की आदत थी और बाद में नाजमा ने भी शराब पीना शुरू कर दिया। विवाह उपरांत इन्होंने 4 बच्चों रेहाना 14 वर्ष, खुशबू 6 वर्ष और 12 व 10 वर्ष के दो पुत्र को जन्म दिया। इन 4 बच्चों पर वैसे तो माता-पिता के शराबी होने के कारण वैसे ही दुखों का पहाड़ टूटता रहा। पढ़ाई-लिखाई भी छूट गई। बड़ी बेटी किसी घर में झाड़ू-पोछा कर कुछ रूपये कमाकर लाने लगी। इस परिवार का दुर्भाग्य कहें कि 10 और 12 वर्ष के बेटे भी बोन फिक्स का नशा करने के आदी होने लगे। इधर शराब पीने की लत के कारण कुछ महीनों से नाजमा ने बीमारी के कारण खाट पकड़ लिया था और 22 मार्च को मौत हो गई। नाजमा का पति जमीर इससे पहले ही अपनी जिम्मेदारियों से मुंह मोडक़र घर से बाहर-बाहर रहने लगा था  लेकिन बीच-बीच में आना-जाना करता था। मोहल्ले वालों ने बताया कि नाजमा की मौत के बाद उसका पति घर नहीं आया तब बिलखते बच्चों को पड़ोसियों ने मदद दी और नाजमा का अंतिम संस्कार किया। इसके दो दिन बाद शराब के नशे में जमीर घर लौटा और बच्चों को जबरन साथ ले जाने लगा जिसे पड़ोसियों ने इस आशंका पर रोका कि कहीं बच्चों के साथ अनर्थ न कर दे। तब सेे लेकर आज तब बच्चे अपने घर में पड़ोसियों की परवरिश में पल रहे हैं।
पिता ने बेची जमीन अब घर की तैयारी
मोहल्लेवासियों ने बताया कि आदतन शराबी जमीर ने गेरवाघाट बस्ती में कच्चा शीट वाला मकान बना रखा है और कुछ जमीन घेरा था। 6 महीना पहले आधी जमीन को उसने बेच दिया और अब बच्चों के सिर छिपाने के लिए बचे एकमात्र सहारा कच्चा मकान को भी बेचने की धमकी बड़ी बेटी को दे चुका है। मोहल्ले वालों ने इसका विरोध किया और चाहते हैं कि कुछ ऐसी व्यवस्था हो जाए कि उक्त मकान और बची जमीन इन्हीं बच्चों के नाम पर रहे।
चाइल्ड लाइन ने ली सूध, मिलेगा सहारा
नशा से बर्बाद परिवार के बेसहारा बच्चों के बारे में देशबन्धु ने चाईल्ड लाईन के को-आर्डिनेटर आशीष प्रकाश दान को अवगत कराया। उनके मार्गदर्शन में राजनारायण सिदार ने आज गेरवाघाट पहुंचकर मोहल्लेवालों और बच्चों से पूछताछ की तथा उनका बयान लिया। राजनारायण ने बताया कि घर पर 3 बच्चे ही मिले और बड़ा लडक़ा किसी बात पर झगड़ा कर छोटे भाई को चोट पहुंचाकर कहीं चला गया है। बुधवार को पुन: गेरवाघाट जाकर चारों बच्चों को लेकर चाईल्ड लाईन द्वारा बाल कल्याण न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा और मिले निर्देश के अनुसार इन चारों बच्चों का व्यवस्थापन किया जाएगा।

 

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