लाल किला हमला मामले में कश्मीरी कारोबारी को जमानत

दिल्ली के लाल किले पर वर्ष 2000 में हुए आतंकी हमले में कथित संलिप्तता के आरोप में गिरफ्तार एक कश्मीरी व्यापारी को बुधवार को एक स्थानीय अदालत ने जमानत दे दी;

Update: 2018-02-08 00:06 GMT

 नई दिल्ली। दिल्ली के लाल किले पर वर्ष 2000 में हुए आतंकी हमले में कथित संलिप्तता के आरोप में गिरफ्तार एक कश्मीरी व्यापारी को बुधवार को एक स्थानीय अदालत ने जमानत दे दी। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सिद्धार्थ शर्मा ने 37 वर्षीय व्यापारी बिलाल अहमद कावा को जमानत देते हुए उसे 50 हजार रुपये के निजी मुचलका भरने और इतनी ही राशि की जमानत देने को कहा।

कावा को दिल्ली पुलिस और गुजरात आतंक रोधी दस्ते ने एक संयुक्त अभियान में दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डे से इस साल जनवरी में गिरफ्तार किया था। उसपर वर्ष 2000 में लाल किले पर हुए हमले में कथित रूप से शामिल होने का आरोप था। 

दिल्ली पुलिस ने कहा कि कावा के बैंक खाते का इस्तेमाल लश्कर-ए-तैयबा को आतंकी वित्तपोषण के लिए किया गया था।

अदालत का फैसला वरिष्ठ वकील और बचाव पक्ष के वकील अमन लेखी के निवेदन पर आया है, जिसमें उन्होंने कहा कि एक को छोड़कर बाकी मामले में अन्य आरोपियों को या तो बरी कर दिया गया है, या फिर फैसला सुना दिया गया है। 

अदालत ने कावा को चेतावनी दी है कि वह मामले में सबूतों से छेड़छाड़ न करे और साथ ही जांच में हस्तक्षेप न करे। 

कावा ने अपनी जमानत यचिका में दावा किया था कि उसे आगे हिरासत में रखने के पीछे कोई उद्देश्य नहीं है।

पुलिस ने कहा कि कावा हमले के कथित साजिशकर्ताओं में से एक है और 17 साल से फरार चल रहा था। दिल्ली पुलिस ने उसे भगोड़ा घोषित कर दिया था। 

अक्टूबर 2005 में निचली अदालत ने पाकिस्तान के लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी मोहम्मद आरिफ उर्फ इलियास को मौत की सजा सुनाई थी, जबकि दो साजिशकर्ताओं को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। अदालत ने तीन अन्य आरोपियों को भी दोषी करार दिया था। 

सितंबर 2006 में दिल्ली उच्च न्यायालय ने अशफाक की मौत की सजा बरकरार रखी, लेकिन छह अन्य को बरी कर दिया था।
 

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