कश्मीर : वार्ताकार से वार्ता नहीं करेंगे अलगाववादी 

कश्मीर के अलगाववादी नेताओं ने मंगलवार को कहा कि जम्मू एवं कश्मीर के लिए भारत सरकार की ओर से नियुक्त वार्ताकार से वे लोग किसी भी प्रकार की वार्ता नहीं करेंगे;

Update: 2017-11-01 01:41 GMT

श्रीनगर। कश्मीरी अलगाववादी नेताओं ने मंगलवार को कहा कि जम्मू एवं कश्मीर के लिए भारत सरकार की ओर से नियुक्त वार्ताकार से वे लोग किसी भी प्रकार की वार्ता नहीं करेंगे। उन्होंने वार्ताकार की नियुक्ति को नई दिल्ली की ओर से 'एक नई रणनीति' बताया है। 

शीर्ष अलगाववादी नेताओं का समूह संयुक्त प्रतिरोध नेतृत्व (ज्वाइंट रेजिस्टेंस लीडरशीप) ने पूर्व खुफिया ब्यूरो प्रमुख दिनेश्वर शर्मा के साथ किसी भी प्रकार के संवाद से इनकार किया है। जेआरएल नेता सैयद अली गिलानी, मीरवाइज उमर फारूक और मोहम्मद यासीन मलिक ने साझा बयान जारी कर यह जानकारी दी।

अलगाववादी नेताओं ने अपने बयान में कहा कि इस तथाकथित वार्ता प्रक्रिया का हिस्सा बनना किसी भी कश्मीरी के लिए एक निर्रथक पहल होगी क्योंकि भारत सरकार स्वतंत्रता से प्यार करने वाले कश्मीरी लोगों की आकांक्षाओं को कुचलने के सैन्य प्रयास में विफल रहने पर बातचीत करने की नई रणनीति अपना रही है। बयान के अनुसार, जम्मू एवं कश्मीर में संघर्ष समाप्त करने के लिए हमारे सिद्धांतों के तहत हम हमेशा गंभीर और फलदायी वार्ता को बढ़ावा और समर्थन देते हैं। वार्ता पर हमारे पक्ष (स्टैंड) की बुनियादी स्वीकृति की जरूरत है जिसके अंतर्गत यह स्वीकार करना है कि यहां विवाद है और इसे सुलझाने की जरूरत है। बयान के अनुसार, भारत सरकार लगातार इस बुनियादी बात और जमीनी स्थिति को नकारती रही है।

जम्मू एवं कश्मीर के लिए स्वायत्तता की मांग कर रहे विपक्षी नेता पी. चिदंबरम के बयान को लेकर हुए विरोध पर प्रतिक्रिया देते हुए बयान में कहा गया है, राज्य में स्वायत्तता बहाल करने के निर्णय पर उनके अपने नेताओं की मांग को भारत सरकार ने खारिज कर दिया जबकि उनके अपने संविधान में इसकी गारंटी दी गई है। 

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