सच्चाई दबाती है सरकार
आज सूचना के तमाम माध्यम हैं. किसी भी घटना की खबर लोगों के पास चंद मिनट में पहुंच जाती है. कई लोग खबरों को सनसनीखेज बना देते हैं. तो कई खबरें ऐसी होती हैं जो सरकार के दबाव में लिखी जाती हैं. जिसे लेकर सुप्रीम कोर्ट के जज चंद्रचूड़ ने कहा कि फेक स्टोरी तब से है जब सिर्फ प्रिंट मीडिया था. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र को सच की ताकत की जरूरत है.;
सरकारों का दबाव हो या फिर कुछ और, खबरों की सच्चाई को दबाने की कोशिशें लगातार हो रही हैं. कोरोना संक्रमण के दौर में तो ये चलन और भी ज्यादा बढ़ा है. सूचना के आज तमाम माध्यम हैं लेकिन इसका इस्तेमाल फेक न्यूज के लिए ज्यादा हो रहा है. इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट के जज डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हम मान सकते हैं कि राष्ट्र की सभी नीतियां हमारे समाज की सच्चाई के आधार पर बनी हैं. लेकिन इससे यह मतलब नहीं है कि सरकारें राजनीतिक कारणों से झूठ में लिप्त नहीं हो सकती. मशहूर दार्शनिक हाना आरेंट के एक कोट का हवाला देते हुए जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि अधिनायकवादी सरकारें अपना प्रभुत्व स्थापित करने के लिए झूठ पर भरोसा करती हैं. आधुनिक लोकतंत्र में ऐसा सच और निर्णय अहम है जिसके पीछे पर्याप्त तर्क हों, झूठे तर्क बेबुनियाद होते हैं. इसलिए हमें तय करना होगा कि हमारे सार्वजनिक संस्थान मजबूत बनें. नागरिकों के रूप में, हमें यह सुनिश्चित करने का प्रयास करना चाहिए कि हमारे पास एक ऐसा प्रेस हो जो किसी भी प्रकार के राजनीतिक या आर्थिक प्रभाव से मुक्त हो और वो हमें निष्पक्ष तरीके से जानकारी प्रदान करे. फर्जी समाचार' या झूठी सूचना बताना कोई नई प्रवृत्ति नहीं है, बल्कि ये तब से ही है जब से प्रिंट मीडिया अस्तित्व में आया है, लेकिन टेक्नॉलाजी की तरक्की और इंटरनेट की बढ़ती पहुंच ने इस समस्या को बहुत बढ़ा दिया है. जिससे मुख्य मुद्दों की अनदेखी हो रही है. उन्होंने कहा कि: "लोकतंत्र को जीवित रहने के लिए सच की ताकत की जरूरत होती है. ऐसे में यह माना जा सकता है कि बलपूर्वक सत्य बोलना लोकतंत्र में नागरिक को मिले अधिकार के साथ-साथ उसका कर्तव्य भी है". जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि सरकार सच तय नहीं कर सकती..बल्कि हमें ये तय करना होगा.