किसानों को अतरिक्त मुआवजा देने के पक्ष में नहीं जेपी समूह
जेपी समूह के प्रभावित किसानों को 64.7 प्रतिशत अतिरिक्त मुआवजा बांटने के लिए प्राधिकरण को रकम का जुगाड़ करने की चुनौती और बढ़ गई है;
नोएडा। जेपी समूह के प्रभावित किसानों को 64.7 प्रतिशत अतिरिक्त मुआवजा बांटने के लिए प्राधिकरण को रकम का जुगाड़ करने की चुनौती और बढ़ गई है। जेपी समूह प्राधिकरण को किसानों के मुआवजे की अतरिक्त रकम देना नहीं चाहता। इसके लिए वह अपने पर बढ़ते कर्ज का हवाला दे रहा है। किसान अतिरिक्त मुआवजा बांटने के लिए प्राधिकरण पर लगातार दबाव बढ़ा रहे हैं। इस वजह से प्राधिकरण के लिए आने वाले दिन और चुनौती भरे हो सकते हैं।
जेपी समूह ने ग्रेटर नोएडा से आगरा तक 165 किमी लंबे यमुना एक्सप्रेस-वे का निर्माण किया है। एक्सप्रेस-वे के निर्माण के एवज में तत्कालीन प्रदेश सरकार ने जेपी समूह को पांच टाउनशिप के लिए करीब ढाई हजार हेक्टेयर जमीन दी थी। नोएडा, ग्रेटर नोएडा, टप्पल व आगरा में टाउनशिप के लिए दी गई यह जमीन मुआवजा दर पर दी गई थी। इसके अलावा जेपी समूह को फार्मूला वन के निर्माण के लिए एक हजार हेक्टेयर जमीन आवंटित की गई थी। पूर्व शासन काल में प्रदेश कैबिनेट ने यमुना प्राधिकरण क्षेत्र के किसानों को भी नोएडा, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की तर्ज पर 64.7 प्रतिशत अतिरिक्त मुआवजा देने की अनुमति दी थी।
किसान इसके लिए लंबे समय से आंदोलन कर रहे थे। किसानों को अतिरिक्त मुआवजा बांटने के लिए जरूरी रकम का बोझ प्राधिकरण ने आवंटियों पर डाला। इसके तहत जेपी समूह को भी पिछले वर्ष नोटिस जारी कर अतिरिक्त रकम जमा कराने के लिए कहा गया। जेपी समूह इसके खिलाफ हाईकोर्ट चला गया। प्राधिकरण ने भी सर्वोच्च न्यायालय की शरण ली। लेकिन अदालत ने प्राधिकरण की याचिका को खारिज कर दिया।
उधर जेपी समूह को दी गई जमीन के प्रभावित किसान प्राधिकरण पर अतिरिक्त मुआवजे का दबाव बना रहे हैं। किसानों का तर्क है कि उनकी जमीन को प्राधिकरण ने अधिगृहीत किया था। इसके बाद प्राधिकरण ने जमीन किसे आवंटित की है, उनका इससे कोई लेना देना नहीं है। प्राधिकरण अन्य किसानों की तरह उन्हें भी 64.7 प्रतिशत अतिरिक्त मुआवजे का भुगतान करे। सूत्रों की माने तो जेपी अब अतरिक्त मुआवजे का भार नहीं सहन करेगा।
वह प्राधिकरण को अतरिक्त मुआवजे की रकम देने से साफ इंकार कर रहा है। इसकी वजह यमुना एक्सप्रेस-वे है। दरसअल, यमुना एक्सप्रेस-वे बनाने में उसे 12500 करोड़ रुपए का लोन लिया था। जिसकी प्रतिवर्ष एक बड़ी किस्त का भुगतान उसे करना पड़ रहा है। प्राधिकरण ने खर्चा वहन करने के लिए पांच टाउनशिप के लिए जमीन दी। इससे भी खर्चा पूरा नहीं हो सका। साथ ही 35 साल तक टोल वसूलने के लिए कहा था। फिलहाल जेपी के वित्तीय ऑडिट के बाद ही पूरा मामला साफ हो पाएगा कि उसने निवेशकों का पैसा और किन-किन परियोजना में लगाया।
2000 करोड़ में जमा किए महज 425 करोड़
खरीदारों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने जेपी को 2000 करोड़ रुपए जमा करने के लिए कहा था। ताकि खरीदारों के जनहितों की रक्षा की जा सके। इसके लिए जेपी समूह ने अभी तक महज 425 करोड़ रुपए जमा किए है। 21 जनवरी तक वह 125 करोड़ और जमा करेगा। शेष रकम जमा करने के लिए वह हाथ खड़े कर रहा है। दरसअल, एनसीएलटी ने जेपी को 270 दिन का समय दिया है। जिसमे 90 दिन एक्सटेंशन के जुड़े है। इसके बाद एनसीएलटी जेपी समूह को दिवालियां घोषित कर बैंकों का कर्जा वसूल करेगी।