जेएनयू मामले में आरोपपत्र दाखिल किए जाने पर जवाब तलब

जेएनयू के पूर्व छात्रनेता कन्हैया कुमार और नौ अन्य के खिलाफ देशद्रोह के मामले में अदालत ने आज दिल्ली पुलिस से पूछा कि उसने सक्षम प्राधिकार की अनुमति के बिना आरोपपत्र क्यों दाखिल किया;

Update: 2019-01-19 17:56 GMT

नई दिल्ली। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के पूर्व छात्रनेता कन्हैया कुमार और नौ अन्य के खिलाफ देशद्रोह के मामले में अदालत ने आज दिल्ली पुलिस से पूछा कि उसने सक्षम प्राधिकार की अनुमति के बिना आरोपपत्र क्यों दाखिल किया।

चीफ मेट्रोपोलिन मजिस्ट्रेट दीपक शेरावत ने दिल्ली पुलिस से पूछा, "आपने अनुमति के बगैर आरोपपत्र क्यों दाखिल किया है? आपके पास विविध विभाग नहीं है।"

पुलिस ने अदालत को आश्वस्त किया कि वह 10 दिनों के भीतर जरूरी मंजूरी प्राप्त करेगी। 

अदालत ने मामले में अगली सुनवाई छह फरवरी को करेगी। 

दिल्ली पुलिस ने 14 जनवरी को आरोपपत्र दाखिल किया, जिसमें जेएनयू के छात्र नेता कन्हैया कुमार, उमर खालिद, अनिर्बान भट्टाचार्य और सात कश्मीरी छात्रों को आरोपी ठहराया है। 

आरोपपत्र में जिन आरोपों का जिक्र है, वे हैं- जानबूझ कर चोट पहुंचाना, धोखाधड़ी, फर्जी दस्तावेज को सही बताकर इस्तेमाल करना, अवैध सम्मेलन के लिए सजा, समान उद्देश्य के साथ अवैध सम्मेलन, बलवा करना और आपराधिक साजिश रचना जैसे आरोप भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं के तहत लगाए गए हैं। 

यह मामला संसद हमले के मास्टरमाइंट अफजल गुरु को फांसी दिए जाने के विरोध में जेएनयू परिसर में फरवरी, 2016 को आयोजित एक कार्यक्रम से संबंधित है। 

कन्हैया कुमार और खालिद दोनों ने आरोपपत्र दाखिल किए जाने पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह राजनीति से प्रेरित है और नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली भाजपा सरकार की मुद्दे से भटकाने वाली चाल है। 

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