जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी ने कोविड-19 प्रतिक्रिया उपकरण किट जारी की

एसोसिएशन ऑफ इंडियन यूनिवर्सिटीज (एआईयू) के सहयोग से ओ. पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी (जेजीयू) ने भारतीय उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए कोविड-19 प्रतिक्रिया उपकरण किट जारी किया है;

Update: 2020-08-21 05:42 GMT

नई दिल्ली। एसोसिएशन ऑफ इंडियन यूनिवर्सिटीज (एआईयू) के सहयोग से ओ. पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी (जेजीयू) ने भारतीय उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए कोविड-19 प्रतिक्रिया उपकरण किट जारी किया है। यह कोविड-19 के दौरान भारतीय उच्च शिक्षा संस्थानों (एचईआई) के लिए शैक्षणिक योजना और निरंतरता के लिए संस्थागत लचीलापन बनाने में मदद करने के लिए विकसित किया गया है।

यह प्रकाशन राज्यसभा सांसद और भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर) के अध्यक्ष एवं मानव संसाधन विकास मामलों पर संसदीय स्थायी समिति के अध्यक्ष विनय सहस्रबुद्धे द्वारा जारी किया गया है।

रिपोर्ट को 'रीइमेजिंग इंडियन यूनिवर्सिटीज' पर कुलपतियों के वार्षिक राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन अवसर पर लॉन्च किया गया, जिसका उद्घाटन केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने किया।

ओ. पी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी (जेजीयू) के निदेशक एवं संस्थापक और इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर हायर एजुकेशन रिसर्च एंड कैपेसिटी बिल्डिंग के संस्थापक ने कहा कि इस रिपोर्ट का ²ष्टिकोण (विजन) कोरोना महामारी को देखते हुए एक राष्ट्रीय ढांचा और संस्थागत तंत्र प्रदान करना है।

उन्होंने कहा, यह रिपोर्ट वैश्विक महामारी के इन कठिन समय में भारतीय विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षा संस्थानों (एचईआई) को समर्थन देने के उद्देश्य से तैयार की गई है। इस रिपोर्ट को भारतीय एचईआई को एक संरचित पद्धति प्रदान करने के लिए संकल्पित और निर्मित किया गया है।

जेजीयू के कुलपति ने कहा, हम इस रिपोर्ट को बनाने में भारतीय विश्वविद्यालयों के संघ के साथ सहयोग करने में इस अवसर के लिए आभारी हैं।

एसोसिएशन ऑफ इंडियन यूनिवर्सिटीज (एआईयू) के महासचिव पंकज मित्तल ने कहा, हम इस मूल्यवान रिपोर्ट के निर्माण में ओ. पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के साथ साझेदारी करके खुश हैं।

भारत में एक बड़ी छात्र आबादी के साथ, भारतीय उच्चतर शिक्षा प्रणाली को छात्रों को शिक्षा प्रदान करने में मौजूदा महामारी के कारण उत्पन्न अनिश्चितता के समय में बाधाओं को दूर करने के लिए खुद को फिर से परिभाषित करने और फिर से मजबूत करने के लिए चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। इनमें से सबसे बड़ी चुनौतियां शिक्षा की पहुंच और संसाधनों की उपलब्धता के अलावा पाठ्यक्रम, शिक्षाशास्त्र और मूल्यांकन से संबंधित मुद्दों के विषय में है।

महामारी संबंधी चुनौतियों में कई चीजें शामिल हैं, जिनमें बड़े शहरों से दूर रहने वाले (दूरस्थ छात्र), ग्रामीण क्षेत्रों से इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों तक कम से कम पहुंच, विश्वसनीय इंटरनेट कनेक्टिविटी, या बिजली आपूर्ति संबंधी समस्याएं शामिल हैं। इसका मतलब यह है कि भारतीय संस्थानों को आउटरीच को अधिकतम करने के लिए मजबूत संस्थागत क्षमता बनाने के लिए ऑनलाइन कक्षाओं से एक कदम आगे जाने की आवश्यकता है।

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