झारखंड : मेडिकल कॉलेज के जूनियर डॉक्टर बेमियादी हड़ताल पर, भाजपा नेता पर महिला डॉक्टर से बदसलूकी का आरोप

झारखंड के धनबाद स्थित शहीद निर्मल महतो मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (एसएनएमएमसीएच) के जूनियर डॉक्टर भाजपा नेता और धनबाद सांसद के प्रतिनिधि रामप्रवेश दास द्वारा एक जूनियर महिला डॉक्टर से कथित बदसलूकी के विरोध में शनिवार सुबह से बेमियादी हड़ताल पर चले गए हैं;

Update: 2025-09-20 08:16 GMT

धनबाद में मेडिकल कॉलेज के जूनियर डॉक्टर बेमियादी हड़ताल पर, भाजपा नेता पर बदसलूकी का आरोप

धनबाद। झारखंड के धनबाद स्थित शहीद निर्मल महतो मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (एसएनएमएमसीएच) के जूनियर डॉक्टर भाजपा नेता और धनबाद सांसद के प्रतिनिधि रामप्रवेश दास द्वारा एक जूनियर महिला डॉक्टर से कथित बदसलूकी के विरोध में शनिवार सुबह से बेमियादी हड़ताल पर चले गए हैं। इस वजह से ओपीडी, इमरजेंसी और इनडोर सेवाएं ठप हो गई हैं और मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

डॉक्टरों का कहना है कि शुक्रवार शाम रामप्रवेश दास कथित तौर पर नशे की हालत में अस्पताल पहुंचे और महिला डॉक्टर से बुर्का हटाने की जिद करने लगे। इस दौरान उन्होंने अशोभनीय भाषा का इस्तेमाल किया और डॉक्टरों को धमकाया। डॉक्टरों का कहना है कि यह कोई पहली घटना नहीं है, इससे पहले भी वे दास की बदसलूकी और धमकियों की लिखित शिकायत सांसद को दे चुके हैं, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।

घटना के बाद शुक्रवार रात आपात बैठक बुलाकर जूनियर डॉक्टरों ने सामूहिक हड़ताल का फैसला लिया। हड़ताल की वजह से शनिवार सुबह से ही ओपीडी रजिस्ट्रेशन काउंटर से लेकर डॉक्टरों के चैंबर तक सन्नाटा पसरा रहा। इमरजेंसी वार्ड में भी सेवाएं प्रभावित होने से गंभीर मरीजों को उचित इलाज नहीं मिल पा रहा। अस्पताल के बाहर दूर-दराज से आए मरीज और उनके परिजन परेशान खड़े दिखाई दिए।

परिजनों का कहना है कि इलाज ठप होने से उन्हें निजी अस्पतालों का सहारा लेना पड़ रहा है, जो महंगा साबित हो रहा है। हालांकि, रामप्रवेश दास ने डॉक्टरों के सभी आरोपों को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि वे एक महिला मरीज की मदद के लिए अस्पताल गए थे और डॉक्टर द्वारा बार-बार अनावश्यक एक्स-रे कराने पर सवाल उठाया था।

दास का कहना है कि उन्होंने पूरी घटना की जानकारी अस्पताल अधीक्षक डॉ. डीके गिंदौरिया को फोन पर दी थी। जूनियर डॉक्टरों ने स्पष्ट कर दिया है कि जब तक दोषी पर सख्त कार्रवाई नहीं होती, वे ड्यूटी पर नहीं लौटेंगे। उनकी मांग है कि अस्पताल में महिला डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए और राजनीतिक हस्तक्षेप पर रोक लगे।

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