जम्मू-कश्मीर आज भी केंद्र सरकार के अधीन है : राकेश सिन्हा
कांग्रेस नेता राकेश सिन्हा ने जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के उस बयान पर प्रतिक्रिया दी, जिसमें उन्होंने कहा था कि हमें केंद्र सरकार से कोई शिकायत नहीं है;
उमर अब्दुल्ला के बयान पर कांग्रेस नेता ने उठाए स्वायत्तता को लेकर सवाल
- आतंकी हमलों और पीड़ितों पर केंद्र सरकार की भूमिका पर राकेश सिन्हा का निशाना
- अवैध बांग्लादेशियों और छात्रवृत्ति मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेरा
- निशिकांत दुबे पर हमला, विपक्ष ने कहा जनता के बीच भाजपा की विश्वसनीयता खत्म
रांची। कांग्रेस नेता राकेश सिन्हा ने जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के उस बयान पर प्रतिक्रिया दी, जिसमें उन्होंने कहा था कि हमें केंद्र सरकार से कोई शिकायत नहीं है। अगर केंद्र चाहती तो हमें घुटने पर लाकर खड़ा कर सकती थी, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। इसके विपरीत उन्होंने हमें अन्य राज्यों की तुलना में सर्वाधिक बजट दिया।
राकेश सिन्हा ने कहा कि यह अच्छी बात है कि उन्हें अन्य राज्यों की तुलना में केंद्र सरकार से ज्यादा बजट मिला है। उनके हितों को प्राथमिकता दी जा रही है, लेकिन मुझे लगता है कि उमर अब्दुल्ला को अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए कि मौजूदा समय में जम्मू-कश्मीर की स्वायत्तता क्या है? उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि अभी भी जम्मू केंद्र सरकार के अधीन है। जम्मू-कश्मीर से सभी नीतिगत फैसले केंद्र सरकार की ओर से ही लिए जाते हैं।
उन्होंने जम्मू-कश्मीर में हुए आतंकी हमले का जिक्र भी किया। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में जिन 26 बहनों का सिंदूर उजारा गया था, उसे लेकर केंद्र सरकार ने किया क्या? इस संबंध में भी जम्मू-कश्मीर के सीएम को अपना रुख साफ करना चाहिए। साथ ही, उन आतंकियों का क्या हुआ, जो इस वीभत्स घटना को अंजाम देने में संलिप्त थे? मुझे लगता है कि इन सभी बिंदुओं पर केंद्र सरकार को अपना रुख साफ करना चाहिए और अंत में हर व्यक्ति को अपने राज्य के प्रति ईमानदार रहना चाहिए। एक लोकतांत्रिक व्यवस्था के तहत हर मुख्यमंत्री को अपने राज्य के विकास के लिए पूरी तरह से संजीदा होना चाहिए और उनके रुख से यह साफ जाहिर हो रहा है कि वे संजीदा हैं। अब अगर प्रधानमंत्री भी संजीदा होंगे तो स्थिति और ज्यादा बेहतर हो सकती है।
राकेश सिन्हा ने एक घटना का जिक्र करते हुए केंद्र सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि मानवता भी कोई चीज होती है। आप बांग्लादेशियों की बात कर रहे हो। मेरा सीधा-सा सवाल है कि पिछले 11 सालों से आप लोग सत्ता में हैं, तो आप लोगों ने भारत में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशियों को चिन्हित करने के लिए क्या किया? जवाब स्पष्ट है कि आप लोग कुछ भी नहीं कर रहे हो।
उन्होंने निशिकांत दुबे पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि वो मानसिक रूप से अस्वस्थ्य हैं और उनके पास जानकारी का अभाव है। इसके इतर, हमें एक बात का ध्यान रखना होगा कि जो व्यक्ति मानसिक रूप से अस्वस्थ्य होता है, वो कुछ भी बोल सकता है। ऐसी स्थिति में मुझे लगता है कि हमें इन लोगों को किसी भी प्रकार से गंभीरता से नहीं लेना चाहिए।
उन्होंने कहा कि निशिकांत दुबे को यह समझना चाहिए कि राष्ट्रपिता और राष्ट्रपति में फर्क होता है, लेकिन अफसोस उन्हें यह पता नहीं है।
साथ ही, उन्होंने छात्रवृत्ति को लेकर भी अपनी बात रखी। हम लोग छात्रवृत्ति का पैसा मांग रहे हैं। ऐसी स्थिति में मेरा सीधा सा सवाल है कि छात्रवृत्ति का पैसा मांगते समय यूटिलाइजेशन के प्रमाणपत्र की आवश्यकता होती है क्या? इसमें किसी भी प्रकार से उपयोगिता के प्रमाणपत्र की आवश्यकता नहीं है। इन लोगों को किसी भी चीज की जानकारी नहीं है। ये लोग सिर्फ राज्य में विकास से संबंधित काम को अवरुद्ध करना चाहते हैं।
उन्होंने कहा कि ये लोग सिर्फ सत्ता में आने की रणनीति बनाने के बारे में सोच रहे हैं, लेकिन मैं एक बात स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि इनकी रणनीति किसी भी कीमत पर सफल होने वाली नहीं है, क्योंकि आज की तारीख में जनता के बीच में इनकी विश्वसनीयता पूरी तरह से खत्म हो चुकी है।