झारखंड : बाघों की सुरक्षा के लिए शिकारियों को गोली मारने का आदेश
झारखंड के पलामू टाइगर रिजर्व (पीटीआर) में 15 फरवरी को एक बाघिन की मौत के बाद शिकारियों की सक्रियता बढ़ने की आशंका को देखते हुए उन पर कड़ी नजर रखी जा रही है।;
डालटनगंज | झारखंड के पलामू टाइगर रिजर्व (पीटीआर) में 15 फरवरी को एक बाघिन की मौत के बाद शिकारियों की सक्रियता बढ़ने की आशंका को देखते हुए उन पर कड़ी नजर रखी जा रही है। साथ ही बाघों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए शिकारियों को गोली मारने का आदेश दिया गया है। बेतला राष्ट्रीय पार्क के क्षेत्रीय निदेशक वाई़ क़े दास ने गुरुवार को बताया, "बाघिन की मौत के बाद शिकारियों को अब लगने लगा है कि बेतला नेशनल पार्क सहित पीटीआर में बाघ मौजूद हैं। इस कारण शिकारियों पर कड़ी नजर रखते हुए गोली मारने का निर्देश दिया गया है।"
उन्होंने कहा, "पीटीआर के सभी वन क्षेत्र पदाधिकारी (रेंजर) व अन्य कर्मचारियों को विशेष चौकसी बरतने का निर्देश दिया गया है। साथ ही रेंजर को पार्क के समुचित रखरखाव पर विशेष ध्यान देने को कहा गया है। उनसे कहा गया है कि किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।"
दास ने कहा कि अभी पलामू टाइगर रिजर्व में दो और बाघों के मौजूद होने की सूचना मिल रही है। उन्होंने कहा कि टाइगर रिजर्व सहित आसपास सुरक्षा व्यवस्था को लेकर लातेहार पुलिस अधीक्षक से विशेष सुरक्षा की भी मांग की गई है।
दास ने बताया, "सरकार और प्रशासन से वन अधिकारियों को ही दंडाधिकारी (मजिस्ट्रेट) की शक्ति देने का अनुरोध किया गया है या बेतला नेशनल पार्क में एक दंडाधिकारी की प्रतिनियुक्ति करने की मांग की गई है, जिससे पुलिस को तत्काल आवश्यकतानुसार कार्रवाई करने का आदेश प्राप्त हो सके।"
क्षेत्र निदेशक दास ने कहा कि मृत बाघिन का नाम हेमा रखा गया है, जिसकी याद में घटनास्थल पर स्मारक बनाया जाएगा। लकड़ी का स्टैच्यू बनाकर उस जगह पर रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि बाघिन के मरने के पूर्व की स्थिति को भी जानने के लिए जंगल में लगे सीसीटीवी को खंगाला जा रहा है।
झारखंड के लातेहार जिले के बेतला नेशनल पार्क में 15 फरवरी को एक बाघिन की मौत हो गई थी। इस बाघिन की मौत को भले ही वन विभाग के अधिकारी स्वाभाविक और बायसन के झुंड से लड़ाई का कारण मान रहे हों, लेकिन इसकी मौत को लेकर अभी भी कई तरह के सवाल उठाए जा रहे हैं।
कहा जा रहा है कि मृत बाघिन चार महीने पूर्व ही छत्तीसगढ़ जंगल से लौट आई थी। वर्ष 2019 में जारी नवीनतम राष्ट्रीय बाघ गणना के आंकड़ों के अनुसार, राज्य में बाघों के एकमात्र अभयारण में बाघों की कोई मौजूदगी नहीं है। पीटीआर लातेहार और गढ़वा जिले में 1129 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है।
पलामू टाइगर रिजर्व की स्थापना 1973 में की गई थी। पूर्व मुख्य वन संरक्षक प्रदीप कुमार की पुस्तक 'मैं बाघ हूं' के मुताबिक, प्रारंभ में इस क्षेत्र में 22 बाघ थे, मगर इसके बाद यहां बाघों की संख्या में गिरावट आती गई। वर्ष 2010 में 10 और 2014 में तीन बाघों की संख्या दर्ज की गई थी।