बिहार विधान परिषद चुनाव में जदयू को नुकसान, महागठबंधन को फायदा
बिहार विधान परिषद की जुलाई में रिक्त होने वाली सात सीटों पर चुनाव को लेकर चुनाव आयोग ने घोषणा कर दी है;
पटना। बिहार विधान परिषद की जुलाई में रिक्त होने वाली सात सीटों पर चुनाव को लेकर चुनाव आयोग ने घोषणा कर दी है। चुनाव की घोषणा के साथ ही अचानक गहमागहमी बढ़ गई है। वैसे, संख्याबल के आधार पर देखा जाए तो इस चुनाव में सबसे ज्यादा घाटा एनडीए में शामिल जदयू को उठाना पड़ सकता है। वैसे, सबसे बड़ा सवाल है कि क्या पूर्व मंत्री और विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के प्रमुख मुकेश सहनी फिर से विधान परिषद जा पाएंगे।
जुलाई में खाली होने वाली सीटों पर गौर करें, तो फिलहाल इनमे से पांच जदयू के पास है, जबकि एक-एक भाजपा और वीआईपी के पास है। फिलहाल वीआईपी के पास एक भी विधायक नहीं है।
बिहार विधान परिषद में जिन सदस्यों का कार्यकाल पूरा होने वाला है, उनमें जदयू के गुलाम रसूल बलियावी, सीपी सिन्हा, कमर आलम, रणविजय सिंह, रोजिना नाजिम, वीआईपी के मुकेश सहनी और भाजपा के अर्जुन सहनी शामिल हैं।
विधानसभा के सदस्यों के संख्या बल को देखा जाए तो सात सीटों पर होने वाले विधान परिषद चुनाव में दो सीट भाजपा, दो सीट जदयू और तीन सीट महागठबंधन को जाती दिख रही हैं। हालांकि इस चुनाव में सबसे ज्यादा नुकसान एनडीए में शामिल जदयू को होने वाला है।
विधान परिषद के सातों सदस्यों का कार्यकाल 21 जुलाई को समाप्त हो रहा है। इन सातों सीटों पर नामांकन की प्रक्रिया दो जून से आरंभ हो जायेगी और मतदान 20 जून को कराया जाएगा। इसके तुरंत बाद मतों की गिनती भी की जाएगी।
विधान परिषद में संख्या बल को देखा जाए तो एक सीट के लिए 31 वोट की जरूरत है। इस तरह भाजपा और राजद के 2-2 जबकि जदयू की एक सीट पर जीत तय है।
इसके बाद छठी सीट पर भाजपा-जदयू के शेष वोटों से एनडीए के उम्मीदवार की जीत भी निश्चित है।
तीन उम्मीदवारों की जीत पक्की के बाद भाजपा के पास 15 व जदयू के पास 14 वोट बचेंगे। हम के चार व एक निर्दलीय वोट को जोड़कर एनडीए की चौथी सीट भी तय मानी जा रही है।
उल्लेखनीय है कि विधानसभा में भाजपा के 77, राजद के 76, जदयू के 45, कांग्रेस के 19, भाकपा (माले) के 12, सीपीआई के दो, एमआईएमआईएम के पांच, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के चार, सीपीएम के दो और निर्दलीय विधायकों की संख्या एक है।