जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का निधन, 79 साल की उम्र में ली अंतिम सांस

बेबाक अंदाज में अपनी बात रखने वाले जम्मू—कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का निधन हो गया है..वो 79 साल के थे.. मलिक जम्मू-कश्मीर, गोवा, बिहार और मेघालय के राज्यपाल रहे.. मलिक अमूमन बीजेपी के खिलाफ अपने बयानों को लेकर चर्चा में रहते थे;

By :  Deshbandhu
Update: 2025-08-05 08:42 GMT

जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल का निधन

नई दिल्ली। मशहूर राजनीतिज्ञ सत्यपाल मलिक का 79 साल की आयु में निधन हो गया है वो 79 साल के थे। मलिक जम्मू-कश्मीर, गोवा, बिहार और मेघालय के पूर्व राज्यपाल रहे। अपने करियर के आखिरी दौर में वो बीजेपी के खिलाफ अपने बयानों को लेकर अक्सर ही चर्चा में रहते थे। उनके कार्यकाल के दौरान ही 5 अगस्त 2019 को जम्मू और कश्मीर से आर्टिकल 370 के कुछ प्रावधानों को निरस्त किया गया था..आज इसी दिन उनका निधन हो गया है।

शुरुआती जीवन और शिक्षा

सत्यपाल मलिक का जन्म उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के हिनसावदा गांव में हुआ था। उन्होंने मेरठ कॉलेज से कानून की डिग्री हासिल की।

राजनीतिक शुरुआत:

मलिक 1974-77 तक उत्तर प्रदेश विधान सभा के सदस्य रहे।

सांसद:

वे 1980-1986 और 1986-89 तक राज्यसभा में उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व किया। 1989-1991 तक, वे जनता दल के सदस्य के रूप में अलीगढ़ से 9वीं लोकसभा के सदस्य रहे।

राज्यपाल:

मलिक 2017-2018 तक बिहार के राज्यपाल रहे। 21 अगस्त 2018 को, उन्हें जम्मू और कश्मीर का राज्यपाल नियुक्त किया गया, और 2019 तक इस पद पर रहे। इसके बाद, वे गोवा और फिर मेघालय के राज्यपाल बने।

हालांकि गोवा का राज्यपाल रहते हुए ही उनके और बीजेपी के बीच तल्खियां सामने आने लगीं थी..जो बाद में और खुलकर सामने आ गईं। बीजेपी को लेकर उनके बयानों पर नजर डालें तो

पुलवामा हमला-

मलिक ने दावा किया कि 2019 के पुलवामा आतंकी हमले में सीआरपीएफ के 40 जवानों की शहादत केंद्र सरकार की खुफिया और सुरक्षा विफलता का नतीजा थी। उन्होंने कहा कि जवानों के लिए विमान की मांग की गई थी, लेकिन केंद्र ने इसे अस्वीकार कर दिया। मलिक ने यह भी आरोप लगाया कि 2019 का लोकसभा चुनाव "शहीद जवानों के शवों पर" लड़ा गया।

किसान आंदोलन: मलिक ने 2020-21 के किसान आंदोलन के दौरान केंद्र सरकार की नीतियों की खुलकर आलोचना की। उन्होंने कहा कि सरकार ने किसानों को अपमानित किया और उनकी मांगों को गंभीरता से नहीं लिया। उन्होंने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) लागू न होने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी के करीबी उद्योगपति गौतम अडानी को जिम्मेदार ठहराया।

किरू हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट और भ्रष्टाचार: मलिक ने जम्मू-कश्मीर के किरू हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट में भ्रष्टाचार के आरोप लगाए और दावा किया कि उन्होंने इसकी जानकारी स्वयं पीएम मोदी को दी थी। इसके बावजूद, सीबीआई ने उनके खिलाफ इस मामले में चार्जशीट दाखिल की, जिसे मलिक ने "राजनीतिक साजिश" करार दिया।

अग्निपथ योजना: मलिक ने अग्निपथ योजना की आलोचना करते हुए कहा कि यह युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। उन्होंने दावा किया कि चार साल की नौकरी के बाद सैनिकों को सामाजिक और आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।

मोदी सरकार पर व्यक्तिगत हमले: मलिक ने कई मौकों पर पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय उन्हें (मलिक को) निशाना बना रही है। उन्होंने यह भी दावा किया कि अगर मोदी तीसरी बार सत्ता में आए, तो उन्हें जेल में डाल दिया जाएगा।

विपक्ष का समर्थन: मलिक ने खुले तौर पर विपक्षी नेताओं जैसे अखिलेश यादव, जयंत चौधरी और अरविंद केजरीवाल का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि अगर विपक्ष 2024 में एकजुट होकर एक उम्मीदवार उतारे, तो मोदी को हराया जा सकता है।

हाल की खबरें और विवाद: सीबीआई जांच: मलिक के खिलाफ किरू हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट में कथित भ्रष्टाचार के लिए सीबीआई ने 2024 और 2025 में छापेमारी की और चार्जशीट दाखिल की। मलिक ने इसे राजनीतिक प्रतिशोध बताया।

वहें 2025 में, गंभीर बीमारी के कारण अस्पताल में भर्ती मलिक ने एक भावुक पोस्ट में कहा कि सरकार उन्हें झूठे मामलों में फंसाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने अपनी ईमानदारी और किसानों के प्रति समर्थन को रेखांकित किया।

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