हुकुमचंद मिल : 7 दिन में हो मजदूरों को 50 करोड़ का भुगतान

इंदौर/नई दिल्ली ! बंद पड़े हुकुमचंद मिल मामले में सर्वोच्च न्यायालय राज्य सरकार को आदेश दिया है, कि वह अगले 7 दिन में मजदूरों को बकाया 50 करोड़ का भुगतान करे।;

Update: 2017-04-21 22:26 GMT

अदालत ने कहा- मजदूर दिवस से पहले मजदूरों के चेहरे पर आनी चाहिए मुस्कान
इंदौर/नई दिल्ली !  बंद पड़े हुकुमचंद मिल मामले में सर्वोच्च न्यायालय राज्य सरकार को आदेश दिया है, कि वह अगले 7 दिन में मजदूरों को बकाया 50 करोड़ का भुगतान करे। शीर्ष अदालत ने इस मामले में इंदौर उच्च न्यायालय के आदेश पर भी अपनी मुहर लगा दी है। सर्वोच्च न्यालालय ने कहा कि मजदूर दिवस के पहले मजदूरों के चेहरे पर मुस्कान आना चाहिए। सरकार 7 दिन के भीतर मजदूरों को भुगतान करने की व्यवस्था करे। यही नहीं उच्च न्यालालय में लंबित मामले पर स्थगन देते हुए न्यायालय ने यह भी आदेश दिया है, कि अब सर्वोच्च न्यालालय में ही इस मामले की सुनवाई होगी।
हुकुमचंद मिल के मजदूर 25 साल से अपने हक की लड़ाई लड़ रहे हैं। मिल के पौने 6 हजार मजदूरों को ग्रेजुएटी, वेतन के करोड़ों रुपए का भुगतान होना है। अदालत ने कोर्ट ने मिल की जमीन को बेचकर मजदूरों को पैसा देने को कहा था। इसके बावजूद मिल की जमीन बिक नहीं पाई, उच्च न्यालालय ने सरकार को आदेश दिया था कि मजदूरों को 50 करोड़ रुपए का अंतरिम भुगतान किया जाए। इस आदेश के खिलाफ सरकार ने सर्वोच्च न्यालालय  में अपील दायर कर दी। गुरुवार को इस पर सुनवाई हुई। मजदूरों की तरफ से एडवोकेट गिरीश पटवर्धवन और धीरेंद्रसिह पवार ने पैरवी की। उन्होंने बताया कि जस्टिस कुरियन जोसेफ और जस्टिस आर भानुमति की बेंच ने उच्च न्यायालय के आदेश में किसी तरह का बदलाव करने से इंकार करते हुए राज्य सरकार को आदेश दिया कि 7 दिन के भीतर मजदूरों को अंतरिम राहत के रूप में 50 करोड़ रुपए का भुगतान करें।
मजदूर नेता हरनामसिंह धालीवाल, नरेंद्र श्रीवंश, किशनलाल बोकरे ने बताया कि शीर्ष अदालत ने यह कहते हुए कि मजदूर दिवस के पहले मजदूरों के चेहरे पर मुस्कान आना चाहिए केस की अगली सुनवाई 1 मई (मजदूर दिवस) को तय की है, इसके पहले सरकार को 50 करोड़ रुपए का भुगतान मजदूरों को करना होगा। इधर, इंदौर उच्च न्यालालय में लंबित याचिका में 24 अप्रैल को सुनवाई होना है। 11 अप्रैल को नगर निगम ने अदालर्त में शपथ पत्र दिया था कि शासन से 50 करोड़ की रकम मिल गई है। इसे 13 अप्रैल के पहले परिसमापक के खाते में शिफ्ट कर दिया जाएगा। इसके बावजूद यह रकम अब तक परिसमापक के खाते में जमा नहीं कराई गई। ऐसे में जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले की सुनवाई अपने स्तर पर ही करने के आदेश दिए हैं। इसलिए 24 अपै्रल को उच्च न्यायालय में सुनवाई होगी या नहीं यह अनिश्चित है।

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