भारत में समुद्री मछली उत्पादन 5.6 फीसदी बढ़ा

भारत में 2017 में समुद्री मछली का उत्पादन 5.6 फीसदी बढ़कर 38.3 लाख टन पहुंच गया है। यह जानकारी केंद्रीय समुद्री मछली अनुसंधान संस्थान (सीएमएफआरआई) के कोचि मुख्यालय ने दी;

Update: 2018-06-27 04:17 GMT

कोचि। भारत में 2017 में समुद्री मछली का उत्पादन 5.6 फीसदी बढ़कर 38.3 लाख टन पहुंच गया है। यह जानकारी केंद्रीय समुद्री मछली अनुसंधान संस्थान (सीएमएफआरआई) के कोचि मुख्यालय ने दी। सीएमएफआरआई द्वारा मंगलवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, 2017 में देश भर में आवक केंद्रों पर मौजूद समुद्री मछली की अनुमानित कीमत 52,431 करोड़ रुपये थी, जो 2016 की तुलना में 8.4 फीसदी ज्यादा थी।

खुदरा स्तर पर समुद्री मछली की अनुमानित कीमत 78,408 करोड़ रुपये (2016 की तुलना में सात फीसदी अधिक) थी।

गुजरात 7.86 लाख टन (कुल उत्पादन का 20.5 फीसदी) उत्पादन के साथ लगातार पांचवें साल शीर्ष पर रहा। इसके बाद तमिलनाडु और केरल आते हैं।

सीएमएफआरआई के निदेशक ए. गोपालकृष्णन के अनुसार, 2012 में रिकार्ड स्तर को छूने के बाद यह सर्वश्रेष्ठ आंकड़ा है।

देश के समुद्री मछली उत्पादन में सुधार में विशेषकर केरल में तैलीय सारडाइन के उत्पादन में वृद्धि ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हालांकि 2016 की तुलना में सबसे ज्यादा गिरावट आंध्र प्रदेश में 83 फीसदी तथा तमिलनाडु में 36 फीसदी दर्ज की गई।

भारतीय समुद्री तटों पर कुल समुद्री मछलियों की 788 प्रजातियां पाई गईं। प्रजातियां सर्वाधिक तमिलनाडु के तटों पर मिलीं, इसके बाद केरल तथा महाराष्ट्र में मिलीं।

उत्पादन के मामले में भारतीय तैलीय सारडाइन 3.37 लाख टन (कुल मछली प्रजातियों का 8.8 फीसदी) उत्पादन के साथ सर्वोच्च रही। इनके उत्पादन में देश भर में 38 फीसदी वृद्धि दर्ज की गई।

अन्य प्रमुख प्रजातियों में भारतीय मैकरेल, रिबन मछलियां, लेसर सारडाइन, पेनाइड प्रॉन्स और गैर पेनाइड प्रॉन्स रहीं।

ओखी तूफान के कारण केरल में लगभग 35,000 टन समुद्री मछलियों का नुकसान हुआ। आर्थिक दृष्टि से देखें तो यह लगभग 585 करोड़ रुपये है तथा खुदरा स्तर पर यह नुकसान 821 करोड़ रुपये पहुंच जाता है।

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