भारतीय रेलवे के सिग्नल सिस्टम में बदलाव को मिली हरी झंडी

भारतीय रेलवे को जल्द ही समूचे रेलमार्ग पर दशकों पुरानी सिगनल प्रणाली को बदल कर नयी अत्याधुनिक प्रणाली लगाने की परियोजना काे मंजूरी मिलने की उम्मीद है जिसमें विदेशी कंपनियों के साथ देसी कंपनियाें को भी;

Update: 2018-09-14 13:59 GMT

नयी दिल्ली।  भारतीय रेलवे को जल्द ही समूचे रेलमार्ग पर दशकों पुरानी सिगनल प्रणाली को बदल कर नयी अत्याधुनिक प्रणाली लगाने की परियोजना काे मंजूरी मिलने की उम्मीद है जिसमें विदेशी कंपनियों के साथ देसी कंपनियाें को भी शामिल किया जाएगा। 

रेल मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि रेल मंत्री पीयूष गोयल की इस महत्वाकांक्षी परियोजना को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सहमति मिल गयी है। प्रधानमंत्री की हरी झंडी मिलने के बाद अब इस दिशा में तैयारियां शुरू हो गयीं हैं। इस आशय का कैबिनेट नोट तैयार किया जा रहा है। केन्द्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी मिलने के बाद टेंडर निकाला जाएगा। 

रेलवे के 66 हजार किलोमीटर रूट मार्ग एवं एक लाख 15 हजार किलोमीटर ट्रैक किलोमीटर मार्ग पर सिगनल प्रणाली को बदलने की इस योजना में ट्रंक मार्गों एवं अतिव्यस्त मार्गों पर विदेशी कंपनियों तथा अन्य मार्गों पर भारतीय कंपनियों को ठेके दिये जाने का विचार है। 

सूत्रों के अनुसार मार्च में हुई एक बैठक में श्री गाेयल ने प्रधानमंत्री के समक्ष भारतीय रेलवे की समूची सिगनल प्रणाली को बदलने का प्रस्ताव रखा था और उनका सुझाव था कि एक ही कंपनी को समूचे भारतीय रेल नेटवर्क का सिगनल बदलने का ठेका देने से कुल लागत बहुत कम हो जाएगी। उन्होंने यूरोपीय ट्रेन कंट्रोल सिस्टम लेवल-2 को लगाने का प्रस्ताव किया था। अर्नस्ट एंड यंग द्वारा किये गये सर्वेक्षण के अनुसार इस पर करीब 78 हजार करोड़ रुपए की लागत आने का अनुमान व्यक्त किया गया था। 

सूत्रों के अनुसार प्रधानमंत्री ने रेलमंत्री से देश में उपलब्ध प्रौद्योगिकी संस्थानों एवं उच्च प्रशिक्षित इंजीनियरों और उनकी भारतीय कंपनियों से बात करने तथा उनके द्वारा विकसित प्रौद्योगिकी का जायजा लेने का सुझाव दिया था।  गोयल ने इसके बाद इस बारे में अनेक बैठकें कीं और भारतीय कंपनियों के प्रतिनिधियों एवं तकनीकविदों से व्यापक विचार विमर्श किया। 

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