'भारत परंपरागत जैविक खेती करने वाला बन गया है सबसे बड़ा देश'
जैविक कृषि विश्व कुंभ 2017 का इंडिया एक्सपो सेंटर एवं मार्ट में उद्घाटन करते हुए किसान कल्याण मंत्री, राधा मोहन सिंह ने कहा है कि भारत परंपरागत रूप से दुनिया का सबसे बड़ा जैविक कृषि करने वाला देश है;
ग्रेटर नोएडा। जैविक कृषि विश्व कुंभ 2017 का इंडिया एक्सपो सेंटर एवं मार्ट में उद्घाटन करते हुए केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री, राधा मोहन सिंह ने कहा है कि भारत परंपरागत रूप से दुनिया का सबसे बड़ा जैविक कृषि करने वाला देश है। यहां तक कि मौजूदा भारत के बहुत बड़े भूभाग में परंपरागत ज्ञान के आधार पर जैविक खेती की जाती है। इस अवसर पर सिक्किम के मुख्यमंत्री पवन कुमार चामलिंग, कृषि मंत्री उत्तर प्रदेश सूर्य प्रताप शाही मौजूद रहे। इस कुंभ में विश्व के 110 देशों के 1400 प्रतिनिधि और दो हजार भारतीय प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं।
आयोजन को इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ आर्गेनिक फार्मिक मूवमेंट्स (आईफोम) व ओएफआई ने मिलकर आयोजित किया है। उन्होंने कहा कि देश में वर्तमान में 22.5 लाख हेक्टेयर जमीन पर जैविक खेती हो रही है जिसमे परंपरागत कृषि विकास योजना से 3,60,400 किसान को लाभ पहुंचा है। इसी तरह पूर्वोत्तर राज्यों के क्षेत्रों में जैविक कृषि के अंतर्गत 50,000 हेक्टेयर क्षेत्र को कवर करने का लक्ष्य है। अब तक 45863 हेक्टेयर क्षेत्र को जैविक योग्य क्षेत्र में परिवर्तित किया जा चुका है व 2406 फार्मर इटेंरेस्ट ग्रुप (एफआईजी) का गठन कर लिया गया है, 2500 एफआईजी लक्ष्य के मुकाबले 44064 किसानों को योजना से जोड़ा जा चुका है।
केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश में परंपरागत कृषि विकास योजना वर्ष 2015-16 से प्रारंभ हुई और 28750 एकड़ मे 28750 किसान को लाभ पहुंचा है। किसानों के जैविक उत्पादों के विपणन के लिए राज्य सरकार 5 लाख रुपए प्रति जनपद को देकर बिक्री केंद्र खुलवा रही है। भारत सरकार इस बात को स्वीकार करती है कि पिछले कुछ दशकों में खेतों में रासायनिक खाद के अंधाधुंध उपयोग ने यह सवाल पैदा कर दिया है कि इस तरह हम कितने दिन खेती कर सकेंगे? रासायनिक खाद युक्त खेती से पर्यावरण के साथ सामाजिक-आर्थिक और उत्पादन से जुड़े मुद्दे भी हैं जो हमारा ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं।
कृषि मंत्री ने कहा कि रसायनों के दुष्प्रभाव से विश्व में जलवायु परिवर्तन व प्रकृति के पर्यावरण में असंतुलन उत्पन्न हो गया है, और मानवों पर भी गंभीर दुष्प्रभाव देखे गए हैं। धरती मां के स्वास्थ्य, सतत उत्पादन, आमजन को सुरक्षित एवं पौष्टिक खाद्यान के लिए जैविक कृषि आज राष्ट्रीय एवं वैश्विक आवश्यकता है। इस अवसर पर कई किसानों को धरती मित्र अवार्ड से नवाजा गया।