आईएमएफ ने पाकिस्तान के बिजली बिल राहत प्रस्ताव के लिए पूर्व शर्तें तय कीं

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने उपभोक्‍ताओं को बिजली बिलों में राहत का पाकिस्तान का प्रस्ताव पूर्व शर्तों के साथ वापस भेज दिया है जिन पर राहत देने से पहले अमल करना होगा;

Update: 2023-09-15 06:38 GMT

इस्लामाबाद। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने उपभोक्‍ताओं को बिजली बिलों में राहत का पाकिस्तान का प्रस्ताव पूर्व शर्तों के साथ वापस भेज दिया है जिन पर राहत देने से पहले अमल करना होगा।

पाकिस्तान सरकार ने देश में आसमान छूती महंगाई के बीच भारी-भरकम बिजली बिलों का विरोध-कर रहे उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए आईएमएफ के पास एक प्रस्‍ताव मंजूरी के लिए भेजा था।

विवरण के अनुसार, आईएमएफ ने पाकिस्तान सरकार से कैप्टिव पावर प्लांट (सीपीपी) को गैस पर दी जा रही सब्सिडी वापस लेने की मांग की है।

मंत्रालय के एक सूत्र ने कहा, "आईएमएफ ने अंतरिम सरकार से जुलाई से सीपीपी को प्रदान की जाने वाली गैस की कीमत तुरंत बढ़ाने के लिए कहा है।

“आईएमएफ की पूर्व शर्तों में पांच मांगें शामिल हैं जिन्हें बिजली उपभोक्ताओं को राहत प्रदान करने की अनुमति देने के लिए पूरा किया जाना चाहिए। आईएमएफ ने सरकार से सीपीपी के लिए सब्सिडी खत्म करने और गैस की कीमत बढ़ाने की योजना भी साझा करने को कहा है। "

बिजली के बढ़े हुए बिलों के कारण स्थानीय लोगों का गुस्सा, हंगामा और देशव्यापी विरोध-प्रदर्शन के बाद सरकार ने हाल ही में आईएमएफ से संपर्क किया था।

प्रदर्शनकारियों ने अपने बिजली बिलों को आग के हवाले करते हुये कहा था कि वे बिल का भुगतान नहीं करेंगे।

इस्लामाबाद के एक निवासी, जिसका दो पंखों और तीन बल्‍ब वाले एक घर के लिए एक महीने का बिल 48,000 पाकिस्‍तानी रुपये आया है, ने कहा, “देश में महंगाई के कारण हम परिवार का भरण-पोषण करने में असमर्थ हैं और भुखमरी की ओर बढ़ रहे हैं। अब, सरकार हम पर अधिक कर लगाती है और हमें बढ़े हुए टैरिफ शुल्क वाले बिल देती है। वे चाहते हैं कि हम गरीबी और महंगाई के तनाव से मर जाएं।”

हर गुजरते दिन के साथ विरोध-प्रदर्शन और गुस्सा बढ़ने के साथ, सरकार की मुश्किल बढ़ती जा रही है क्योंकि किसी भी राहत की घोषणा से पहले उसे आईएमएफ की मंजूरी लेने की जरूरत है।

देश की आर्थिक स्थिति मंदी के कगार पर है। बिजली दरों में बढ़ोतरी के साथ-साथ पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में पाक्षिक वृद्धि का सीधा असर बुनियादी वस्तुओं की कीमतों पर पड़ा है।

इससे जनता में अशांति फैल गई है, जो कहते हैं कि लगातार बिगड़ती परिस्थितियों में उनका जीवित रहना लगभग असंभव हो गया है।

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