चार जिलों तक फैल चुका कोयले का अवैध कारोबार
बिलासपुर समेत आसपास के चार जिलों में कोयले का काला धंधा खूब फूल फल रहा;
बिलासपुर। बिलासपुर समेत आसपास के चार जिलों में कोयले का काला धंधा खूब फूल फल रहा है। उद्योगपति और व्यापारी कोयले के इस धंधे में हाथ काला करने से नहीं हिचक रहे हैं। एक अनुमान के अनुसार चारों जिलों में कोयले का हर माह करोड़ों का कारोबार हो रहा है। पांच साल पहले तक बिलासपुर, रायगढ़, मुंगेली और बेमेतरा जिले में बड़े कारोबारी कोयले का अवैध कारोबार कर रहे थे। कम पैसे लगाकर अधिक मुनाफा देखकर अब व्यापारी और कुछ इस धंधे में कूद गए हैं। हालात यह है कि बिलासपुर शहर के चारों ओर अवैध कोल डिपो संचालित हो रहे हैं। कुछ महीने से मुंगेली और बेमेतरा जिले में भी यह धंधा जोरों से शुरू हो गया है।
रात 10 बजते ही शहर के बाइपास से कोयला लेकर ट्रेलर निकलने लगते हैं। ये ट्रेलर वहीं जाकर रूकते हैं जहां पर कोयला डंप करना होता है। कोयले के काले धंधे को छिपाने के लिए कोल व्यवसायी गांव हो या शहर कोलडिपो ऊंची बाउंड्रीवाल खड़ी करते हैं जिससे दूर से देखने वालों को पता नहीं चले। हालांकि कोलडिपो का रास्ता इस काले कारोबार का पता दे देता है। कोयला लेकर जाने वाले ट्रेलर से डस्ट इतनी उड़ती है कि सड़के के दोनों किनारों पर जम जाती है। पुलिस और खनिज विभाग के अफसर समय-समय पर कोलडिपो के खिलाफ कार्रवाई करते हैं, डिपो को सील लगा दिया जाता है और बड़ा जुर्माना भी ठोका जाता है ताकि कोयले के काले कारोबार पर लगाम लग सके।
इसके बाद क्या होता है यह किसी को पता नहीं चलता। चार माह के दौरान जिन कोलडिपो में छापे पड़े थे यह देखने की जरूरत नहीं समझी जाती है और होता यह है कि कार्रवाई के कुछ दिनों बाद यह काला कारोबार फिर पहले की तरह चलने लगता है।