कांग्रेस की जीत का शत-प्रतिशत भरोसा : बघेल
सीएम बघेल ने देशबन्धु डीबी लाइव से की ख़ास बातचीत;
- राजीव रंजन श्रीवास्तव
रायपुर। मतदाताओं से सीधे मुद्दे की बात, पिछले वादों को पूरा करने के आत्मविश्वास के साथ इस बार के लिए कुछ और नए वादे, जनता की बेहतरी के काम करने का आश्वासन और इसके साथ कांग्रेस की शत-प्रतिशत जीत पर भरोसा दिखाना, भूपेश बघेल के साथ एक दिन में तीन-तीन चुनावी सभाओं के कवरेज का निचोड़ यही है।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को इस राज्य की जनता अपने सगे-संबंधी जैसा प्यार और सम्मान देती है। किसी के लिए भूपेश बघेल कका हैं, किसी के लिए दाऊ, किसी के लिए भैया। और भूपेश बघेल भी जनता के बीच अपने उसी पुराने अंदाज में अब भी पहुंचते हैं और घुलते-मिलते हैं, जैसा वे राजनीति के शुरुआती दिनों में किया करते थे। पहले अविभाजित मध्यप्रदेश और फिर 23 साल पहले बने राज्य छत्तीसगढ़ में बीते तीन दशकों में बहुत कुछ बदल गया।
सत्ता बदल गई, अधिकारी बदल गए,लोगों के मिज़ाज बदल गए, लेकिन भूपेश बघेल की सहजता, जमीन से जुड़ाव, जुझारूपन और ठेठ छत्तीसगढ़िया अंदाज बिल्कुल वैसा ही रहा। 3 नवंबर को भूपेश बघेल के साथ अभनपुर से लेकर अंतागढ़ तक उनकी सभाओं और दौरे के बीच उनसे लंबी बातचीत हुई, पेश है उसकी रिपोर्ताज.
अभनपुर की सभा में कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथ अभनपुर, राजिम, आरंग, कुरूद के कांग्रेस प्रत्याशी धनेन्द्र साहू, अमितेश शुक्ल, शिवकुमार डहरिया औऱ तारिणी चंद्राकर भी मौजूद रहे। यहां राजिम माता, राजीव लोचन भगवान, कुलेश्वर महादेव के जयकारे से भाषण की शुरुआत करते हुए भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधा और कहा कि "कल पीएम मोदी कांकेर आए थे। उन्होंने कहा कि विकास नहीं हो रहा है। कांग्रेस और विकास का '36 का आंकड़ा' है। श्री मोदी पर तंज कसते हुए श्री बघेल ने कहा हम अडानी को खदानें और नगरनार स्टील प्लांट नहीं देते, इसलिए वह कह रहे हैं कि छत्तीसगढ़ में विकास नहीं हो रहा है। अगर हम खदानें और नगरनार स्टील प्लांट अडानी को देंगे तो ही विकास होगा।”
भूपेश बघेल अपनी लगभग सभी चुनावी सभाओं में इसी तरह चुटीले अंदाज में भाजपा को और खासकर प्रधानमंत्री मोदी को घेरते हैं। छत्तीसगढ़ के चुनावों में भाजपा के स्थानीय नेतृत्व की जगह अब कांग्रेस की सीधी टक्कर मोदी सरकार से होती दिख रही है। देशबन्धु डीबी लाइव ने जब उनसे जांच एजेंसियों की कार्रवाइयों पर सवाल किया तो उनका सीधा जवाब था कि ये लोग पिछले तीन सालों से लगातार यही कर रहे हैं। राज्य सरकार को काम नहीं करने देना चाहते और ईडी और आईटी के जरिए अडंगा डालते हैं। भूपेश बघेल ने इस जवाब से सीधा संदेश दे दिया है कि वे किसी भी दबाव में नहीं आने वाले। बल्कि वे जनता को साफ शब्दों में बता रहे हैं कि उसके लिए कांग्रेस सरकार ने अब तक क्या किया और अगर दोबारा कांग्रेस की सरकार आएगी, तो फिर अगले पांच सालों में कांग्रेस और क्या-क्या करेगी।
देशबन्धु, डीबी लाइव ने भूपेश बघेल से सवाल किया कि पिछले पांच सालों में क्या खास बदलाव आया है। इस पर मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि आर्थिक स्थिति में महत्वपूर्ण बदलाव आया है। महिलाओं, किसानों, नौजवानों की स्थिति में गुणात्मक सुधार आया है। कांग्रेस सरकार ने शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में कई जरूरी काम किए हैं। भूपेश बघेल ने खास तौर पर स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूलों का जिक्र किया, जिसमें महंगे अंग्रेजी स्कूलों में गए बिना ही गरीब घर के बच्चों को अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा मिलने लगी है। भूपेश बघेल ने कहा कि हमने छत्तीसगढ़ी भाषा, संस्कृति और यहां के तीज-त्योहारों, परंपराओं को सहेजने का काम पिछले पांच सालों में किया है।
यह पूछे जाने पर कि आप पर भाजपा ने मुद्दों को हड़पने का आरोप लगाया है, जैसे अब आप भी राम, सीता और कौशल्या माता की बात करने लगे हैं। इस पर भूपेश बघेल ने कहा कि हम तो श्रद्धा और निस्वार्थ भाव से इनका नाम लेते है। मोदीजी तो मजबूरी में छत्तीसगढ़ महतारी और कौशल्या माता की जय कहते हैं। जबकि छत्तीसगढ़ में कौशल्या माता का मंदिर है, जो अपनी तरह का अकेला है, हमने उसका जीर्णोद्धार किया। हम कौशल्या और सीता माता के साथ गऊ माता की भी सेवा करते हैं। जबकि भाजपा के लिए ये भी राजनैतिक मुद्दा है। हमने गौठान के जरिए गौमाता की सेवा की।
गौठान से उत्थान के सवाल पर भूपेश बघेल ने कहा कि हम तो पारंपरिक व्यवस्था को समझ कर उससे आज की अर्थव्यवस्था को संभाल रहे हैं। यांत्रिकीकरण के कारण गौपालन और दुग्ध व्यवसाय में लागत बढ़ रही थी और मुनाफा नहीं हो रहा था, तो हमने डेयरी वालों से गोबर और गौमूत्र खरीदना शुरु किया, फिर इनका इस्तेमाल खाद बनाने के लिए किया। इससे जमीन पर रासायनिक खाद का प्रयोग कम हुआ और उर्वरता बढ़ी। इस तरह हमने गौमाता और धरती माता दोनों की सेवा की।
भूपेश बघेल जब ये सारी बातें कर रहे थे, तो इसमें उनका राजनैतिक पक्ष कहीं दब गया और वे खालिस किसान की तरह ग्रामीण अर्थव्यवस्था से विकास के रास्ते को समझा रहे थे। और ठीक इसी तरह वे अपनी सभाओं में भी लोगों से जुड़ जाते हैं और बातें करते हैं। एक के बाद एक चुनावी सभाएं करते हुए भूपेश बघेल जरा भी थके हुए या परेशान नहीं दिखते। थकान होती तो होगी, लेकिन भूपेश बघेल का मानना है कि लोग वहां आपकी परेशानी सुनने नहीं आए हैं कि आपने कितने घंटे काम किया, आपको बुखार या सिरदर्द है। लोग एक अच्छी जिंदगी की आस लगाए हुए हैं और भूपेश बघेल अपने नपे-तुले भाषणों में लोगों को यही बताते हैं कि हमने पांच सालों में आपके लिए क्या किया और फिर से मौका मिला तो अब क्या करेंगे।
जैसे पखांजूर की सभा में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने लोगों को आश्वासन दिया कि पिछली बार की तरह इस बार भी कर्ज माफ होगा। 200 यूनिट तक बिजली फ्री होगी। सभी सरकारी स्कूल और कॉलेज में केजी से पीजी तक फ्री एजुकेशन होगा। शिक्षा और स्वास्थ्य की सुविधाओं का खास ख्याल रखा जाएगा। मुख्यमंत्री जिस समय कांग्रेस की ओर घोषणाएं कर रहे थे, उसी वक्त खबर आई कि भाजपा ने अपना घोषणापत्र जारी कर दिया है। भाजपा ने भी अपने घोषणापत्र में धान खरीदी को लेकर खास घोषणाएं कीं, जिस पर भूपेश बघेल ने भाजपा को आड़े हाथों लिया।
पखांजूर की सभा में कांग्रेस की घोषणाओं और भाजपा के घोषणापत्र के अलावा खास ध्यान खींचा अंतागढ़ के प्रत्याशी रूप सिंह पोटाई ने। मुख्यमंत्री ने श्री पोटाई को किसान का बेटा बताकर उनका परिचय जनता से करवाया। 35 बरस के रूप सिंह पोटाई दो बार सरपंच रह चुके हैं। हिंदी, हल्बी, छत्तीसगढ़ी और बांग्ला सभी भाषाओं पर उनकी एक जैसी पकड़ है और इस आदिवासी इलाके के बाशिंदों से उनकी भाषा में उन्हीं की तरह वो संवाद कर सकते हैं।
अभनपुर से अंतागढ़ तक कांग्रेस के लिए धुआंधार प्रचार करते हुए फिर भूपेश बघेल रायपुर होते हुए अपने विधानसभा क्षेत्र पाटन के लिए रवाना हो गए। चलते-चलते देशबन्धु डीबीलाइव ने उनसे सवाल किया आप लगातार यहां से वहां रैलियां कर रहे हैं। भाजपा भी अपना पूरा जोर लगा रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी छत्तीसगढ़ में भाजपा की जीत के लिए खास कोशिशें कर रहे हैं। ऐसे में आप कांग्रेस के लिए जीत की कितनी संभावनाएं देखते हैं। इस पर भूपेश बघेल ने जवाब दिया- शत-प्रतिशत।
भूपेश बघेल का सौ प्रतिशत जीत वाला आत्मविश्वास मतदाताओं की कसौटी पर कितना खरा उतरता है ये तो 3 दिसम्बर को नतीजों से पता चल ही जाएगा। फिलहाल ये कहा जा सकता है कि भूपेश बघेल जीत का यह दावा जनता की नब्ज टटोल कर ही कर रहे हैं। और पिछले पांच सालों में ही नहीं, अपने सुदीर्घ राजनैतिक जीवन के अनुभवों से उन्होंने सीख लिया है कि जनता की नब्ज बिल्कुल सही तरीके से कैसे पकड़ी और समझी जाती है।