भाजपा सरकार के कारनामो से मानवता शर्मसार : अखिलेश

औरैया सड़क हादसे में मारे गये श्रमिकों के शव के साथ घायल को ले जाने संबंधी वायरल वीडियो का हवाला देते हुये अखिलेश यादव ने कहा कि उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार के कारनामों से मानवता शर्मसार हो रही है।;

Update: 2020-05-18 19:09 GMT

लखनऊ। औरैया सड़क हादसे में मारे गये श्रमिकों के शव के साथ घायल को ले जाने संबंधी वायरल वीडियो का हवाला देते हुये समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार के कारनामों से मानवता शर्मसार हो रही है।

उन्होने सोमवार को जारी बयान में कहा “समझ में नहीं आता कि कोई सरकार कैसे इतनी अमानवीय हो सकती है। औरैया सड़क हादसे में झारखण्ड के मृत श्रमिकों और घायलों को एक साथ खुले ट्रक से रवाना किया गया। एक मृतक का पिता खेत मजदूर है वह अपने बेटे का शव लेने के लिए 19 हजार रूपए खर्च कर आने को मजबूर हुआ। ”

श्री यादव ने कहा कि भाजपा सरकार के रवैये से मजदूर आक्रोशित है। इससे सरकार की नीतियों और कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिह्न लगा है। लाॅकडाउन के चलते सपा ने सरकार को तमाम तरह के सुझाव दिए और लगातार जमीनी सच्चाई उजागर की, लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की टीम इलेवन अहंकार में डूबी रही। अब हालात नियंत्रण के बाहर अराजकता तक पहुंच गये है। आखिर इस संकट की जिम्मेदारी किसकी है।

उन्होने कहा कि प्रदेश की सीमाओं को अचानक बंद करने के आदेश से स्थिति और गम्भीर हो चली है। सीमावर्ती इलाकों में प्रवासी मजदूर भूख प्यास से व्याकुल होकर पुलिस वालों से प्रवेश पाने के लिए गिड़गिड़ा रहे हैं। जो लोग बीच प्रदेश में फंसे है उनके साथ पुलिस दुव्र्यवहार कर रही है।
 
सपा अध्यक्ष ने कहा कि भाजपा सरकार के अदूरदर्शी फैसलों के चलते गरीब और बेबस श्रमिकों की जिंदगी नर्क हो गई है। मथुरा में कोसीकलाॅ से फरह तक हाईवे पर जमा श्रमिकों को जब सात घंटे तक खाना पानी नहीं मिला, बसों की व्यवस्था नहीं हुई तो उनके आक्रोश व्यक्त करने पर पुलिस ने जमकर लाठियां बरसाई। सहारनपुर और झांसी में भी कामगारों का सब्र टूट गया। लाठियों की यह चोट गरीब जनता कभी नहीं भूलेगी।

उन्होने कहा कि भाजपा सरकार से आग्रह है कि वह संवेदनशील होने का परिचय दे। जो लोग सैकड़ों मील चलकर जहां भी पहुंचे हैं, अब वहीं से आगे उन्हें घर भिजवाने की तुरन्त व्यवस्था की जाए। पुलिस एक सीमा से आगे जनसैलाब का सामना नहीं कर सकती हैं। सरकारी अराजकता ने प्रदेश में हजारों बच्चों का बचपन छीना है और उन्हें भी पलायन की त्रासदी का अंग बना दिया है।

सरकार की इससे ज्यादा अक्षमता का प्रमाण क्या मिल सकता है कि समय से निर्णय नहीं कर सकी। लाखों श्रमिक पैदल मारे-मारे पैदल चलने को मजबूर हुए। उनमें से सैकड़ों तो रास्ते में ही मर गये। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि लाचार श्रमिकों को अपने ही गृह राज्य में उत्पीड़न और अपमानित होना पड़ रहा है।

मुख्यमंत्री जी की टीम इलेवन की बैठकों का नतीजा आज तक अमल में नहीं आया। कोरोना पीड़ितों की संख्या में लगातार वृद्धि तो होती जा रही है। टीम इलेवन के कारण पूरा प्रशासन पस्त हो गया है। सरकारी मशीनरी निष्क्रिय है। पुलिस करे तो क्या करे, उन्हें कुछ सूझता नहीं है।

सपा की मांग है कि श्रमिक कामगार की किसी भी हादसे में मौत पर प्रत्येक के परिजन को दस लाख रूपयें की आर्थिक मदद तत्काल दें। सरकार की यह जिम्मेदारी है कि मजदूरों को गंतव्य स्थल तक सम्मानपूवर्क एवं सुविधा से पहुंचायें, और उनके जीवनयापन की व्यवस्था सुनिश्चित की जाये।
 

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