हिमाचल में शराब हुई दस प्रतिशत तक मंहगी

हिमाचल प्रदेश में शराब के शौकीनों के लिये अच्छी खबर नहीं है। राज्य सरकार द्वारा वित्त वर्ष 2019-20 के लिए देसी और अंग्रेजी शराब बनाने के घटकों के दामों में पांच प्रतिशत तक वृद्धि;

Update: 2019-07-22 19:02 GMT

शिमला। हिमाचल प्रदेश में शराब के शौकीनों के लिये अच्छी खबर नहीं है। राज्य सरकार द्वारा वित्त वर्ष 2019-20 के लिए देसी और अंग्रेजी शराब बनाने के घटकों के दामों में पांच प्रतिशत तक वृद्धि किये जाने के चलते इनकी खुदरा दरें दस प्रतिशत तक बढ़ जाएंगी। 

राज्य के बिक्री कर एवं और आबकारी आयुक्त डॉ. अजय शर्मा ने आज यह कहा कि सरकार के संज्ञान में लाया गया है कि शराब बनाने के मूल घटक(एक्स्ट्रा न्यूट्रल अल्कोहल) की लागत गत कई वर्षों में काफी बढ़ गई है। इसी तरह कांच की बोतल और पैकिंग आदि की कीमतों में भी हाल के दिनों में तेजी देखी गई है।

उन्होंने बताया कि शराब बनाने के लिये आवश्यक बुनियादी कच्चा माल जीएसटी के तहत आता हैं जबकि शराब पर वैट लगाया जाता है। जीएसटी के तहत लगाए गए करों को वैट के तहत समायोजित नहीं किया जा सकता है जिसके कारण शराब के उत्पादन की लागत बढ़ गई है।

इसलिये शराब उद्योग को बचाने के लिए एक्स-डिस्टिलरी की कीमतों में पांच प्रतिशत की मामूली वृद्धि की गई है।

उन्होंने बताया कि शिवास रीगल, ग्लेनलीव्हाईट और ब्लू-लेबल इत्यादि विदेशों में निर्मित बोतल बंद बीयर, वाइन, साइडर और शराब ब्रांड की एमआरपी दरों पर इस वृद्धि का कोई असर नहीं पड़ेगा जबकि भारत में निर्मित देशी शराब और बोतलबंद अंग्रेजी शराब ब्रांडों की कीमत में लगभग 10 प्रतिशत की औसतन बढ़ौतरी होगी।

सरकारी खजाने को इस न्यूनतम वृद्धि से 20-25 करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व प्राप्त होने की उम्मीद है।

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