रेल कर्मचारियों का निजीकरण के खिलाफ प्रचण्ड प्रदर्शन

रेल मंत्रालय द्वारा 50 रेलवे स्टेशनों और 150 रेलगाडियाें को निजी कम्पनियों के सुपुर्द करने के लिए सचिव स्तर की कमेटी गठित किये जाने के विरोध;

Update: 2019-10-23 17:36 GMT

नयी दिल्ली । रेल मंत्रालय द्वारा 50 रेलवे स्टेशनों और 150 रेलगाडियाें को निजी कम्पनियों के सुपुर्द करने के लिए सचिव स्तर की कमेटी गठित किये जाने के विरोध में ऑल इंडिया रेलवे मेन्स फेडरेशन (एआईआरएफ) और देशभर में रेलवे कर्मचारी यूनियनों ने आज यहां काले फीते बांधकर जोरदार प्रदर्शन किया।

आंदोलन में भारी संख्या में शामिल रेलकर्मियों ने काले फीते बाधकर रोष व्यक्त किया और समिति के गठन की अधिसूचना की प्रतियों को जलाया तथा चक्का जाम करने की चेतावनी दी।

एआईआरएफ के महासचिव शिवगोपाल मिश्रा ने कहा कि एआईआरएफ भारतीय रेल के किसी प्रकार के निजीकरण के विरोध में है और रेल मंत्रालय द्वारा 100 दिवसीय कार्य योजना में ‘तेजस‘ तथा अन्य 150 रेलगाडियों का संचालन निजी कम्पनियों को सौंपे जाने के विरोध में एक जुलाई को भी राष्ट्रीय स्तर पर ‘काला दिवस‘ मनाया गया था। इसके बाद दो जुलाई को रेलवे बोर्ड के साथ एआईआरएफ के नेताओं की बातचीत में स्पष्ट आश्वासन दिया गया कि बिना कर्मचारी पक्ष से चर्चा किये हुए इस दिशा में कोई कदम नही उठाया जायेगा।

 मिश्रा ने कहा कि इसी प्रकार का आश्वासन रेल मंत्री पीयूष गोयल ने भी नौ अक्टूबर को अध्यक्ष रेलवे बोर्ड, सदस्य कार्मिक और कार्यकारी निदेशक( औद्योगिक सबंध) की उपस्थिति में दिया था। रेलमंत्री ने कहा था कि रेलवे बोर्ड जो भी कार्रवाई करेगा उससे पहले एआईआरएफ के साथ विस्तृत विचार विमर्श किया जायेगा। लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि 10 अक्टूबर को सचिवों की उपरोक्त कमेटी गठित कर दी गई। कर्मचारी पक्ष इसे किसी भी हालत में स्वीकार नही कर सकता और यदि रेल मंत्रालय द्वारा इसी प्रकार का रवैया अख्तियार किया गया तो आंदोलन और उग्र रूप धारण कर सकता है रेल का चक्का जाम करेगा जिसकी सम्पूर्ण जिम्मदारी रेल मंत्रालय की होगी।

 मिश्रा ने कहा कि सरकार पूजीपंतियां का सम्मान करे परन्तु जो श्रम करके पूंजी पैदा करते है उनका भी उतना ही सम्मान होना चाहिए। उन्होंने याद दिलाया कि जिस दिन लखनऊ से पहली प्राइवेट कम्पनी द्वारा संचालित ‘ तेजस‘ गाडी का उदघाटन किया गया उस दिन हजारो की संख्या में चारबाग रेलवे स्टेशन, लखनऊ में रेलकर्मियों ने इसका प्रचन्ड विरोध किया और साथ ही उस गाडी के नई दिल्ली पहुंचने पर यहॉ भी हजाराें की संख्या में रेलकर्मी नई दिल्ली स्टेशन के पास एकत्रित हुए और प्रचन्ड प्रदर्शन किया गया।

उन्होंने कहा कि एआईआरएफ न केवल रेल कर्मचारियों की सुरक्षा एवं बेहतरी के लिए प्रतिबद्ध है बल्कि उसका स्पष्ट मत है कि प्राइवेट कम्पनियां रेल के अधिकांश उपभोक्ताओ को संतोषजनक सेवायें किसी हालात में नही दे पायेगी। इतनी सस्ती और सुविधाजनक सेवा रेलकर्मी रोजना 22 हजार गाडियॉ चलाकर लगभग 2.50 करोड लोगों को उनके गतंव्य तक पहुंचा कर देते हैं। उन्होने सरकार को चेताया कि यदि वह अपनी हठधर्तिता से पीछे नही हटी तो भारतीय रेलों पर पिछले 5 दशको से कायम औद्योगिक शांति खतरे में पड़ सकती है और इसका खामियाजा पूरे देश को भुगतना पड़ सकता है। रेलवे के सभी जोनों एवं मंडलों में ऐसे ही विरोध प्रदर्शन की खबर है।
 

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