एचएयू के पर्वतारोही दल ने माउंट यूनम पर लहराया तिरंगा

चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय का एक 20 सदस्यीय पर्वतारोही दल लाहोल घाटी में स्थित माउंट यूनम (20600 फीट) पर सफलतापूर्वक चढ़ाई करके लौट आया;

Update: 2019-09-17 18:06 GMT

हिसार। चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय का एक 20 सदस्यीय पर्वतारोही दल लाहोल घाटी में स्थित माउंट यूनम (20600 फीट) पर सफलतापूर्वक चढ़ाई करके लौट आया है।

विश्वविद्यालय पहुंचने पर कुलपति प्रो.के.पी. सिंह तथा छात्र कल्याण निदेशक डॉ. डी.एस. दहिया ने दल को आज बधाई दी। प्रो. सिंह ने कहा कि ऐसे अभियानों से छात्रों को विषम परिस्थितियों में रहने व जीवन की चुनौतियों का सामना करने की प्रेरणा मिलती है।

विश्वविद्यालय के माऊंटेनरिंग क्लब के अध्यक्ष डॉ. मुकेश सैनी ने बताया कि यह दल रोहतांग पास व बारालाचा पास की मनमोहक वादियों से गुजरते हुए लाहोल घाटी स्थित भरतपुर टैंट कालोनी पहुंचा। जहां से साहसिक अभियान की शुरूआत हुई। छात्रों ने इस मनाली से जसपा व कुल्लू से लाहोल घाटी तक के बदलते पर्वतों के प्रकारों व क्रम को भली-भांति समझा और रास्ते में सूरज ताल व दीपक ताल की खूबसूरत शांति को अपने जहन में उतारा। दल का प्रबंधन पीएचडी छात्र विक्रम घियल और मोहित चौधरी ने किया।

उन्होंने अपने मिशन की शुरूआत 4700मी. की ऊंचाई से की। गौरतलब रहे कि यह ऊंचाई हिसार शहर से 20 गुना से भी अधिक है। इतने बड़े शिखर पर चढ़ने के लिए विश्वविद्यालय को इंडियन माऊंटेनरिंग फाउंडेशन से अनुमति लेनी पड़ी। मीलों तक सिवाय बर्फ और पत्थर के अलावा और किसी भी चीज़ का ना होना अपने आप में रोमांच पैदा करता है। माइनस 15 डिग्री सैल्सियस तापमान व 60 किलो मीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलती हवाओं के बीच से लगातार आगे बढ़ते रहना किसी आम आदमी के बस की बात प्रतीत नहीं होती। ठंड का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि दोपहर में चलते हुए भी बैगों में रखी बोतलों में रखा पानी जमने लगा। इतनी ऊंचाई पर ऑक्सीजन का स्तर घटकर 10 प्रतिशत से भी कम हो जाता है जोकि रेड लेवल जोन मेें आता है। ऐसे में हर कदम बढ़ाने के लिए कई बार साँस लेना पड़ता है और शरीर की क्षमता कई गुणा घट जाती है। इसीलिए दल के कुछ छात्रों को सुरक्षा कारणों से बेस कैंप वापिस लौटना पड़ा और बाकी बचे हुए दल ने नौ घंटों तक लगातार चलते हुए शिखर पर तिरंगा और विश्वविद्यालय का ध्वज फहराया।

उन्होंने बताया कि शिखर से उतरना भी आसान न । नीचे उतरते हुए पत्थरीले व बर्फीले रास्तों में महज एक घंटे का आराम भी हाइपोथर्मिया के कारण जानलेवा हो सकता था। पंद्रह घंटों तक ट्रैक करके लौटे विजय दल जिसमें तीन लड़कियां भी शामिल थी, ने नया कीर्तिमान स्थापित किया।
 

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