चंडीगढ़ : राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम् को लेकर शुक्रवार को हरियाणा विधानसभा में अभूतपूर्व हंगामा हुआ। सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहस के बाद हालात इतने बिगड़े कि कांग्रेस के विधायक विधानसभा अध्यक्ष हरविन्द्र कल्याण के आसन के सामने पहुंच गए। बार-बार चेतावनी के बावजूद सीटों पर नहीं लौटने पर अध्यक्ष ने कांग्रेस के 10 विधायकों को सदन से ‘नेम’ कर बाहर करने के आदेश दे दिए। मार्शलों द्वारा बाहर ले जाने की कोशिश में हाथापाई जैसी स्थिति बन गई। पूरे घटनाक्रम के कारण सदन की कार्यवाही करीब आधे घंटे तक स्थगित रही।
औचित्य पर सवाल उठाए
यह विवाद विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन तब शुरू हुआ, जब भाजपा विधायक घनश्याम दास और योगेंद्र सिंह राणा ने शून्यकाल के बाद संसद की तर्ज पर सदन में वंदे मातरम् पर चर्चा कराने का प्रस्ताव रखा। विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा, बीबी बत्रा, आफताब अहमद, गीता भुक्कल और अन्य कांग्रेस विधायकों ने इसके औचित्य पर सवाल उठाए, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष ने चर्चा की अनुमति दे दी। कांग्रेस की ओर से आदित्य सुरजेवाला ने चर्चा की शुरुआत करते हुए वंदे मातरम् की भावना को पर्यावरण से जोड़ते हुए प्रदूषण, नदियों और जंगलों की स्थिति पर सवाल खड़े किए।
उन्होंने कहा कि वंदे मातरम् को विभाजन का हथियार न बनाया जाए, बल्कि उसके मूल भाव के अनुसार प्रकृति की रक्षा की जाए। इस पर बिजली एवं परिवहन मंत्री अनिल विज ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने जिन्ना के दबाव में वंदे मातरम् को तोड़कर देश के विभाजन की नींव रखी। विज ने कहा कि आज तक किसी ने गीता, रामायण या कुरान को नहीं काटा, लेकिन वंदे मातरम् की पवित्रता को कांग्रेस ने भंग किया। नारेबाजी बढ़ने पर मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि सामान्य विषयों जैसे वायु और जल प्रदूषण को देश के सम्मान के प्रतीक वंदे मातरम् से जोड़ना गलत है। उन्होंने कहा कि वंदे मातरम् सुनकर हर देशभक्त का खून उबलता है।
आसन के सामने डटे रहे कांग्रेस विधायक
हंगामे के दौरान कांग्रेस विधायक अध्यक्ष के आसन के सामने डटे रहे। चार बार चेतावनी के बाद अध्यक्ष ने इंदुराज नरवाल, अशोक अरोड़ा, शकुंतला खटक, जस्सी पेटवाड़, देवेंद्र हंस, विकास सहारण, बलराम दांगी, नरेश सेलवाल, कुलदीप वत्स और गीता भुक्कल को नेम कर दिया। मार्शलों ने बाहर ले जाने की कोशिश की, गीता भुक्कल के लिए महिला मार्शल बुलानी पड़ीं। हालात बिगड़ते देख हुड्डा ने विधायकों को बाहर जाने को कहा। बाद में उन्होंने मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप का अनुरोध किया, जिस पर मुख्यमंत्री के आग्रह पर विधानसभा अध्यक्ष ने सभी विधायकों का नेम वापस ले लिया और सदन की कार्यवाही फिर से शुरू हुई।