दिल्ली हिंसा पर संसद में दूसरे दिन भी जारी रहा हँगामा
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि सरकार होली के बाद 11 मार्च को इस मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है, लेकिन विपक्ष तत्काल चर्चा की माँग पर अड़ा हुआ है।;
नयी दिल्ली । बजट सत्र के दूसरे चरण के दूसरे दिन भी संसद के दोनों सदनों में दिल्ली हिंसा के मुद्दे पर गतिरोध बना रहा और लोकसभा में जबरदस्त धक्का-मुक्की तथा अराजकता के कारण सदन की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित करनी पड़ी।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि सरकार होली के बाद 11 मार्च को इस मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है, लेकिन विपक्ष तत्काल चर्चा की माँग पर अड़ा हुआ है। वहीं राज्यसभा में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच चर्चा की सहमति बन गयी है, लेकिन सभापति एम. वेंकैया नायडू की मंजूरी मिलने के बाद ही इस पर चर्चा होने की संभावना है। राज्यसभा में भी विपक्ष के अड़ियल रवैये के कारण कोई कामकाज नहीं हुआ और दो बार के स्थगन के बाद सदन की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दी गयी।
लोकसभा में दो बार स्थगन के बाद अपराह्न दो बजे सदन की कार्यवाही जब शुरू हुई तो विपक्षी सदस्यों ने दिल्ली में हुये दंगों पर चर्चा कराने की मांग को लेकर हंगामा करना शुरु कर दिया। हँगामा इतना बढ़ गया कि कार्यवाही स्थगित होने के बाद विधि मंत्री रविशंकर प्रसाद तथा सत्ता पक्ष के कुछ अन्य सदस्यों ने सुरक्षित घेरा बनाकर लोकसभा महासचिव स्नेहलता श्रीवास्तव को सदन से बाहर निकाला।
दोपहर दो बजे कार्यवाही शुरू होेने पर श्री बिरला ने सबसे पहले जरूरी कागजात सदन के पटल पर रखवाये। इसके बाद उन्होंने बैंककारी विनियमन (संशोधन) विधेयक, 2020 पेश करने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का नाम पुकारा। इस पर कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी तथा विपक्ष के लगभग सभी सदस्यों ने खड़े होकर दिल्ली हिंसा पर चर्चा की माँग की। अध्यक्ष ने कहा कि सरकार इस मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है और होली के बाद 11 मार्च को इस पर चर्चा होगी। इस पर विपक्ष का हँगामा और बढ़ गया तथा विपक्षी सदस्य अध्यक्ष के आसन के करीब आ गये। कुछ विपक्षी सदस्य कागज फाड़कर आसन की तरफ उछालने लगे।
अध्यक्ष ने बिना चर्चा के ही विधेयक पारित कराने की कोशिश की और कुछ संशोधन ध्वनि मत से पारित भी करा दिये। विपक्ष ने इस पर सवाल उठाते हुये इसे गलत बताया। इसके बाद कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी सत्ता पक्ष की ओर जाकर अध्यक्ष के आसन के पास पहुँच गये। कुछ कहने के बाद वे वापस जा रहे थे, लेकिन महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी तथा सत्ता पक्ष की कुछ अन्य सदस्य इस बीच अपनी सीट छोड़कर रास्ते में आ चुकी थीं जिसके कारण श्री चौधरी अपनी सीट पर नहीं जा सके।
विधि मंत्री रविशंकर प्रसाद और सत्ता पक्ष के कुछ सदस्य श्री चौधरी के लिए रास्ता बनाते हुये उन्हें पकड़कर वापस ले जाने लगे, लेकिन तब तक सत्ता पक्ष और विपक्ष के कई सदस्य आसन के समीप आ चुके थे। उनके बीच आपस में जबरदस्त धक्का-मुक्की हुई। दोनों तरफ के अन्य सदस्य भी अपनी-अपनी सीटों पर खड़े हो गये जिससे सदन में भारी शोरगुल और हंगामा शुरु हो गया। ।
सदन की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दिये जाने के बावजूद दोनों पक्षों के सदस्य कुछ देर तक सदन में जमे रहे और उनके बीच जोर-जोर से तीखी नोंकझोंक जारी रही।
राज्यसभा में भी विपक्षी सदस्यों ने दिल्ली हिंसा की घटनाओं पर तत्काल चर्चा कराने की माँग की, लेकिन सत्ता पक्ष इस पर राजी नहीं हुआ जिसके कारण सदन में शून्यकाल और प्रश्नकाल नहीं हो पाया तथा कार्यवाही पहले अपराह्न दो बजे तक के लिए और बाद में अपराह्न तीन बजे तक के लिए स्थगित करनी पड़ी।
अपराह्न तीन बजे जब दुबारा कार्यवाही शुरू हुई तो सत्ता पक्ष ने कहा कि वह राजधानी में पिछले दिनों हुई हिंसा पर चर्चा कराने के लिए तैयार है, लेकिन विपक्षी सदस्य तत्काल चर्चा कराने की माँग कर रहे थे। तब उप सभापति हरिवंश ने कहा कि वह इस संबंध में सभापति वेंकैया नायडू से बात करेंगे और बुधवार सुबह ही इस मुद्दे पर चर्चा शुरू हो जायेगी।
इससे पहले विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि दिल्ली की हिंसा को लेकर पूरी दुनिया में चर्चा हो रही है और हम यहाँ सदन में इस बात पर चर्चा नहीं कर पा रहे हैं। उनका कहना था कि चर्चा तो अभी ही होनी चाहिये क्योंकि बाद में चर्चा कराने का कोई अर्थ नहीं रह जायेगा। उन्होंने कहा कि हम इस घटना की निंदा करते हैं और देश की संसद अगर चर्चा नहीं करती है तो बहुत अटपटा लगेगा। उनका कहना था कि हिंसा में मारे गये लोग किसी भी धर्म के हों, वे इंसान थे। उनमें 90 फीसदी लोग 24 से 35 वर्ष की आयु के थे। हम चाहते हैं कि ऐसी घटना दुबारा न हो। हमें आपस में लड़ना नहीं है। हम तो हजारों साल से साथ रहते आये हैं, प्यार और मोहब्बत के साथ और हमें साथ रहना है। अगर हम एक सप्ताह बाद चर्चा करेंगे तो उसका कोई मतलब नहीं रह जायेगा क्योंकि जब सिर में दर्द होता है तभी हमें दवा खानी चाहिये। एक सप्ताह के बाद दवा खाने से कोई फायदा नहीं, इसलिए इस मुद्दे पर कल चर्चा होनी चाहिये।
सदन के नेता थावरचंद गहलोत ने भी कहा कि सरकार चर्चा के लिए तैयार है, लेकिन इसका समय सभापति को तय करना है। हम चर्चा से भाग नहीं रहे हैं।
इसके बाद उपसभापति हरिवंश ने कहा कि सभापति से बात करके चर्चा के लिए दिन तय किया जायेगा। सदन में कांग्रेस के उपनेता आनंद शर्मा का कहना था कि जब नेता प्रतिपक्ष और सदन के नेता का एक ही मत है तो सभापति से पूछने की क्या जरूरत है। इस पर भारतीय जनता पार्टी के नेता भूपेंद्र ने कहा कि सभापति को नियम एवं प्रक्रिया 58 के तहत निर्णय लेने का अधिकार है, इसलिए इस मामले में सभापति पर दबाव नहीं डाला जा सकता।
विपक्षी सदस्यों का कहना था कि अगर सदन में अभी चर्चा शुरू नहीं होती है तो अन्य कामकाज न निपटाया जाये और सदन की कार्यवाही को अभी स्थगित कर दी जाये। इस पर उपसभापति हरिवंश राजी हो गये और उन्होंने सदन की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दी।