‘सरकारें काम करती नहीं, न्यायपालिका पर लगाती हैं आरोप’

न्यायालय ने कहा कि आश्रय बनाने के मामले में उत्तर प्रदेश का रिकाॅर्ड सबसे खराब है। केंद्र ने खुद माना है कि वहां कुल 92 आश्रय घर स्वीकृत किये गये थे, लेकिन अभी तक केवल पांच ही काम कर रहे हैं;

Update: 2018-01-11 00:06 GMT

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने शहरी बेघरों के लिए आश्रय उपलब्ध कराने में हो रही देरी को लेकर आज उत्तर प्रदेश सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि सरकारें काम करती नहीं और यदि न्यायपालिका हस्तक्षेप करे तो उसपर देश चलाने का आरोप लगता है।

न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार से कहा, “आप लोग काम नहीं करते। अगर हम कुछ कहें तो फिर कहा जाता है कि सुप्रीम कोर्ट सरकार और देश को चलाता है।”

न्यायालय ने कहा कि आश्रय बनाने के मामले में उत्तर प्रदेश का रिकाॅर्ड सबसे खराब है। केंद्र ने खुद माना है कि वहां कुल 92 आश्रय घर स्वीकृत किये गये थे, लेकिन अभी तक केवल पांच ही काम कर रहे हैं। दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय पोषाहार मिशन के तहत यह काम सिरे चढ़ाया जा रहा है।

खंडपीठ ने कहा कि दीनदयाल अंत्योदय योजना 2014 से अस्तित्व में है, लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार ने इसमें कुछ भी नहीं किया। 
राज्य सरकार की तरफ से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि शहरी बेघरों के लिए दृष्टिपत्र तैयार किया गया है। इसके तहत एक लाख 80 हजार लोगों को आश्रय उपलब्ध कराने के लिए काम किया जा रहा है। 

श्री मेहता ने शीर्ष अदालत से अपील की कि हर राज्य में दो-सदस्यीय कमेटी को आश्रय घर बनाने के मामले की निगरानी का जिम्मा दिया जाये।  शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार से कहा कि वह दो सप्ताह में हर राज्य में जिम्मेदार अधिकारी को तैनात करे। अगली सुनवाई आठ फरवरी को होगी।

गौरतलब है कि न्यायालय ने इस मामले में एक समिति का गठन किया है। शहरी बेघरों की स्थिति को देखने वाली समिति की रिपोर्ट है कि आश्रय घरों को बनाने में राज्य विशेषकर केंद्र शासित प्रदेश फिसड्डी हैं। इसकी देखरेख भी ठीक से नहीं की जा रही।

Full View

Tags:    

Similar News