बिहार में फ्लाई एश ईंट उद्योग को प्रोत्साहित करेगी सरकार : उपमुख्यमंत्री

बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि सरकार राज्य में फ्लाई एश ईंट उद्योग को प्रोत्साहित करेगी;

Update: 2020-09-08 21:10 GMT

पटना। बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि सरकार राज्य में फ्लाई एश ईंट उद्योग को प्रोत्साहित करेगी और एनटीपीसी से फ्लाई एश (राख) मिलने में हो रही कठिनाइयों के बाबत भारत सरकार से बातचीत की जाएगी। बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के तत्वावधान में फ्लाई एश ईंट निर्माताओं की वर्चुअल बैठक को संबोधित करते हुए उपमुख्यमंत्री मोदी ने कहा कि राज्य में परंपरागत तौर पर संचालित 6,600 ईंट-भट्ठों से प्रतिवर्ष 2 करोड़ ईंटों का निर्माण होता है, जिसके लिए मिट्टी की 5.5 लाख टन ऊपरी सतह जो प्राकृतिक संपदा का उपयोग किया जाता है।

उन्होंने कहा कि इन ईंट-भट्ठों से प्रतिवर्ष सर्वाधिक 1.6 लाख टन कार्बन डायऑक्साइड का उत्सर्जन होता है।

उन्होंने कहा, "राज्य सरकार की पहल के बाद 3,500 परंपरागत ईंट-भट्ठों को स्वच्छता तकनीक में बदला जा चुका है। फ्लाई एश ईंट उद्योग को प्रोत्साहित करने का ही नतीजा है कि 2012 में जहां राज्य में मात्र एक फ्लाई एश ईंट उद्योग था, वहीं अब इसकी संख्या बढ्कर 210 हो गई है।"

उन्होंने कहा कि लाल ईंट की तुलना में फ्लाई एश ईंट की कीमत भी कम है, इसके गुणवत्ता प्रमाणीकरण के लिए भी सरकार पहल करेगी।

उन्होंने बताया कि भवन निर्माण विभाग अपने भवनों के निर्माण में 50 प्रतिशत फ्लाई एश ईंट का प्रयोग कर रहा है। आने वाले दिनों में शत-प्रतिशत फ्लाई एश ईंट का उपयोग करने का सरकार निर्देश देगी।

बैठक में राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद ने सुझाव दिया कि पावर स्टेशन के 50 किलोमीटर की परिधि में परंपरागत लाल ईंटों के निर्माण पर रोक लगाई जाए। बैठक में फ्लाई एश ईंट निर्माताओं ने शिकायत की कि उन्हें एनटीपीसी से फ्लाई एश मिलने में कठिनाई होती है। उन्होंने फ्लाई एश की ढुलाई के लिए सब्सिडी उपलब्ध कराने की भी राज्य सरकार से मांग की।

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