सरकार करेगी यूनिटेक में निदेशकों की नियुक्ति

नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) के निर्देश के बाद सरकार कर्जदारों के मुकदमों से घिरी बिल्डिंग कंपनी यूनिटेक के बोर्ड में निदेशकों को नामित करेगी;

Update: 2017-12-09 22:42 GMT

नई दिल्ली। नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) के निर्देश के बाद सरकार कर्जदारों के मुकदमों से घिरी बिल्डिंग कंपनी यूनिटेक के बोर्ड में निदेशकों को नामित करेगी। जानकार सूत्रों ने शनिवार को यह जानकारी दी। कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय (एमसीए) के सूत्रों ने यहां बताया कि एनसीएलटी के शुक्रवार के आदेश के बाद यूनिटेक के खिलाफ दिवालिया की कार्रवाई को टालने के लिए, जिसके कारण हजारों फ्लैट खरीदारों की रकम डूबने का खतरा हो जाएगा, सरकार इस रियल एस्टेट कंपनी का प्रबंधन अपने हाथों में जल्द से जल्द लेना चाहती है। 

केंद्र सरकार द्वारा दाखिल याचिका में यूनिटेक का नियंत्रण अपने हाथों में लेने की अनुमति मांगी गई थी। इसके बाद एनसीएलटी ने शुक्रवार को कंपनी के बोर्ड को निरस्त कर दिया तथा एमसीए को बोर्ड में 10 निदेशक नियुक्त करने का निर्देश दिया। 

एनसीएलटी ने यूनिटेक के सभी 8 निदेशकों को कुप्रबंधन और धन के गबन के आरोपों के बाद बर्खास्त कर दिया और सरकार को कंपनी के बोर्ड में 10 निदेशकों को नामांकित करने के लिए अधिकृत किया। 

सरकार ने करीब 20,000 घर खरीदारों और 51,000 जमाकर्ताओं जिनका कंपनी पर कुल 700 करोड़ रुपये बकाया है, के हितों की रक्षा के लिए कंपनी का प्रबंधन अपने हाथों में लेने के लिए एनसीएलटी के पास याचिका दायर की थी।  एनसीएलटी ने सरकार को आदेश दिया है कि वह 20 दिसंबर को होनेवाली अगली सुनवाई के दिन निदेशकों के नामों की अनुशंसा करे। 

सरकार ने तर्क दिया कि यूनिटेक दिवालियापन का मामला चलाए जाने के लिए उपयुक्त है, लेकिन हजारों घर खरीदारों और छोटे जमाकर्ताओं के हितों को देखते हुए यह सरकार के लिए उचित होगा कि वह कंपनी का प्रबंधन अपने हाथों में ले ले। 

अतिरिक्त महान्यायवादी संजय जैन ने एनसीएलटी की सुनवाई में कहा, "हम इस कंपनी को दिवालिया होने से बचाना चाहते हैं, नहीं तो 19,000 फ्लैट खरीदारों को नुकसान होगा।" उन्होंने कहा, "हम आश्वस्त हैं कि इस कंपनी की गतिविधियां कंपनीज अधिनियम के प्रावधानों के अनुरूप नहीं रही है।"

एनसीएलटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति एम. एम. कुमार की अगुवाई में दो सदस्यीय पीठ ने अपने आदेश में कहा, "वास्तव में, प्रथम दृष्टया यह प्रकट होता है कि यूनिटेक जनता के हितों के खिलाफ काम कर रही है। इसलिए इस पर प्रथम दृष्टया मामला बनता है।"

एनसीएलटी के आदेश पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए यूनीटेक ने एक बयान में कहा, "कंपनी वित्तपोषण को सुनिश्चित करने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है, ताकि विभिन्न परियोजनाओं का निर्माण कार्य जारी रख सके।"

सर्वोच्च न्यायालय ने कंपनी के निदेशकों संजय चंद्रा और अजय चंद्रा को जमानत देने के लिए यूनिटेक को दिसंबर के अंत तक 750 करोड़ रुपये जमा कराने का आदेश दिया है, जिन्हें दिल्ली पुलिस ने इस साल की शुरुआत में निवेशकों द्वारा धन लेने के बावजूद परियोजना का विकास नहीं करने के आरोप में गिरफ्तार किया था। 

शीर्ष अदालत में यूनिटेक के खिलाफ दिल्ली-एनसीआर में कई परियोजनाओं को समय पर पूरा नहीं करने का मामला चल रहा है।सरकार ने 10 साल पहले निजी आईटी कंपनी सत्यम का प्रबंधन अपने हाथ में लिया था। 

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