पीएम पद के लालच में नीतीश की जाएगी कुर्सी
केंद्र में एनडीए की सरकार है और बिहार में भी. केंद्र में कमान बीजेपी के पास है तो बिहार में सरकार की कमान उसकी सहयोगी जेडीयू के पास है. केंद्र और राज्य दोनों ही जगह गठबंधन सरकार होने के बावजूद बीजेपी और जेडीयू के रिश्ते लगातार तल्ख होते जा रहे हैं.;
उपेंद्र कुशवाहा लगातार सार्वजनिक मंच पर नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बता रहे हैं. वो तो यहां तक बोल चुके हैं कि नीतीश पीएम पद के योग्य उम्मीदवार हैं और यदि नीतीश कुमार की योग्यता से किसी को परेशानी है तो वो परेशान होता रहे. केसी त्यागी नीतीश कुमार की तुलना तमिलनाडु के सबसे लोकप्रिय नेता रहे सी अन्नादुरई से कर रहे हैं. तो पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष को भी नीतीश कुमार सबसे योग्य नेता दिखाई देते हैं. नीतीश की पीएम उम्मीदवारी के दावे ने बिहार में बीजेपी—जेडीयू गठबंधन में दरारें पैदा कर दी हैं. वो भी उस समय जब बिहार में पंचायत चुनावों का ऐलान हुआ है. पंचायत चुनाव 11 चरण में होने हैं और पहले चरण के लिए 2 सितम्बर से नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो रही है. जेडीयू को चिंता है कि पंचायत चुनावों में भी यदि बीजेपी कार्यकर्ताओं ने जेडीयू के खिलाफ काम किया तो उसकी हालत विधानसभा चुनावों जैसे ही होगी. जहां पार्टी तीसरे नम्बर पर पहुंच गई. वैसे पंचायत चुनाव पूरी तरह से गैर दलीय आधार पर हो रहे हैं. लेकिन राजनीतिक दलों से जुड़े नेता खुलकर इसमें हिस्सा ले रहे हैं. चुनावों पर विवाद का असर ना हो इसलिए अब नीतीश कुमार बीजेपी को साधने की कोशिश में जुट गए हैं. नीतीश की ओर से संकेत दिए जा रहे हैं कि खुद को पीएम मैटेरियल बताए जाने से वो नाराज हैं. वैसे नीतीश ने अपनी ये नाराजगी उन मंचों पर कभी भी सार्वजनिक नहीं की, जहां से उसकी पीएम उम्मीदवारी के दावे किए जा रहे थे. नीतीश कुमार के बदले सुर के पीछे का मुख्य कारण तीन चार दिनों से उन्हें मिल रहे फीडबैक को माना जा रहा है. जेडीयू के अंदर ही दावा किया जा रहा है कि इस मुद्दे पर पटना से दिल्ली तक, नीतीश की जो फजीहत हुई उसके लिए न केवल उपेन्द्र कुशवाहा बल्कि पार्टी के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी और राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह को भी जिम्मेदार माना जा रहा हैं क्योंकि राष्ट्रीय परिषद की बैठक में इन्हीं लोगों ने नीतीश कुमार के पक्ष में बढ़चढ़कर दावे किए थे. जिसके बाद ये संदेश गया कि नीतीश कुमार की ओर से खुद को पीएम पद का दावेदार घोषित किया गया है. लेकिन नीतीश को जल्द ही हकीकत का अंदाजा हो गया है कि पीएम पद के फेर में कहीं उनका सीएम पद ही ना चला जाए. इसलिए उन्होंने अपने करीबी नेताओं को बयानबाजी से दूर रहने के निर्देश दिए हैं .