राज्य में चल रहे अवैध खनन को रोकने में सरकार पूरी तरह असफल रही है: सुखपाल सिंह खैहरा
पंजाब विधानसभा में नेता विपक्ष सुखपाल सिंह खैहरा ने आज कहा कि राज्य में चल रहे अवैध खनन को रोकने में सरकार पूरी तरह असफल रही है और सत्तारूढ़ नेता नेता राज्य के कुदरती स्रोतों को जम कर लूट रहे हैं;
जालंधर। पंजाब विधानसभा में नेता विपक्ष सुखपाल सिंह खैहरा ने आज कहा कि राज्य में चल रहे अवैध खनन को रोकने में सरकार पूरी तरह असफल रही है और सत्तारूढ़ नेता नेता राज्य के कुदरती स्रोतों को जम कर लूट रहे हैं।
खैहरा ने आज प्रैसवार्ता में आरोप लगाया कि राज्य में कांग्रेस के 11 विधायक और एक मंत्री अवैध खनन का कारोबार कर रहे हैं। उन्होंने कहा मुख्यमंत्री कैप्टन सिंह द्वारा ट्वीट किए जाने के पश्चात भी अभी तक इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
उल्लेखनीय है कि छह मार्च को मुख्यमंत्री ने हेलीकॉप्टर द्वारा करतारपुर जाते समय सतलुज दरिया के क्षेत्र में चल रहे अवैध खनन के कार्य को देख कर ट्वीट कर जालंधर तथा नवांशहर के जिला उपायुक्तों को इसकी जानकारी दी। जिसके पश्चात प्रशासन ने बड़े स्तर पर कार्रवाई करते हुए 30 टिप्पर ट्रक और 13 पोकलेन, चार जेसीबी मशीनें, दो मिट्टी भरने वाली क्रेनें जब्त कर उनके चालकों को गिरफ्तार कर लिया था।
खैहरा ने मुख्यमंत्री से पूछा है कि उनकी शिकायत के बावजूद अभी तक मुख्य आरोपियों के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री विधानसभा में खुद यह मान चुके हैं कि उनके पास अवैध खनन में शामिल लोगों की सूची है। खैहरा ने मांग की है कि कैप्टन सिंह इन लोगों के नाम सार्वजनिक करें। उन्होंने कहा कि राज्य में अरबाें रुपये का अवैध खनन कारोबार हो रहा है यही कारण है अवैध खनन के आरोप लगने पर कैबिनेट मंत्री राणा गुरजीत सिंह द्वारा त्यागपत्र देने के बावजूद अवैध खनन में बढ़ोतरी बदस्तूर जारी है।
विपक्ष के नेता ने बताया कि उन्होंने छह फरवरी को राज्य विधानसभा अध्यक्ष को मिल कर सुझाव दिया था कि सभी राजनीतिक दलों की एक समिति गठित कर खनन स्थलों की जांच करने का अधिकार दिया जाए लेकिन उनके सुझाव पर अभी तक कोई कारवाई नहीं हुईं है। उन्होंने बताया कि इस मामले को वह विधानसभा के बजट सत्र में उठाएंगे।
राज्य में इस समय फरीदकोट, फिरोजपुर, शाहकोट, लुधियाना में समराला, पठानकोट, हरीके, जीरा और मक्खू में अवैध खनन का कार्य चल रहा है।
खैहरा ने कहा कि राज्य की पूर्व सरकार के समय बादल परिवार ने राज्य में स्मारक बनाने के नाम पर करोड़ों रुपये डकार लिए हैं। उन्होंने कहा कि बादलों ने लगभग दस हजार करोड़ रुपये खर्च कर दस स्मारक बनाये हैं जोकि सफेद हाथी सिद्ध हो रही हैं। उन्होंने कहा कि स्मारक बनाने की बजाए प्राथमिकता शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र की दी जानी चाहिए थी। उन्होंने बताया कि इन सभी स्मारकों के निर्माण का ठेका एक ही कंपनी को दिया गया था।