सरकार का निर्णय ऐतिहासिक: डॉ.द्विवेदी

आयुर्वेदिक डॉक्टर ही ज्यादातर गांवों में सेवा देते हैं;

Update: 2017-09-02 12:51 GMT

बिलासपुर।  आयुर्वेदिक डॉक्टर ही ज्यादातर गांवों में सेवा देते हैं। इस पद्धति से इलाज में खर्च भी कम आता है। वहीं नक्सली क्षेत्रों में एलोपेथिक डॉक्टर जाते नहीं है। सरकार ने आयुर्वेद डॉक्टरों को एलोपेथिक पद्धति से इलाज करने की अनुमति दी है।

यह एक ऐतिहासिक निर्णय है। उक्त बातें सीसीआईएम के मेंबर व आयुर्वेद महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष डा.शिवनारायण द्विवेदी ने प्रेसवार्ता के दौरान कही।

उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र में 1957 से आयुर्वेद डॉक्टरों को एलोपैथिक पद्धति से इलाज करने की सुविधा मिली है। वहीं प्रदेश में 3500 आयुर्वेदिक डाक्टर्स है। जिनमें 1200 शासकीय है। सरकार के इस फैसले का आईएमए विरोध कर रही है। क्योंकि उनकी थोरी कमाई बंद हो जाएगी। दिल्ली में संगठन ने आवाज उठाई है जिसे सरकार ने अनुमति दे दी है। सभी नर्सिंग होम में रेट लिस्ट चस्पा होनी चाहिए।

आयुर्वेद चिकित्सा संघ के अध्यक्ष शिव नारायण द्विवेदी ने बताया कि इस संबंध में सरकार से लंबे समय से मांग की जा रही थी जिसे सरकार ने पूरा कर दिया है। इस व्यवस्था को लागू करने वाला छत्तीसगढ़ देश का दूसरा राज्य बन गया है। पहले से महाराष्ट्र में लागू है। पिछले दिनों झोलाछाप डाक्टरों पर कार्रवाई के दौरान कई आयुर्वेद के डाक्टरों को निशाना बनाया गया। 

 जिसके बाद आयुर्वेद के डॉक्टरों ने इसकी शिकायत शासन से की थी और उन्हें एलोपैथी प्रैक्टिस करने की अनुमति देन की मांग की थी। जिसके बाद सरकार ने यह निर्णय किया है। उन्होंने यह भी बताया कि आयुर्वेद का डाक्टर अपने 1 साल की इंटर्नशिप में से 6 महीने एलौपैथिक अस्पताल में काम करते हैं।

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