दशरथ मांझी और कर्पूरी ठाकुर को भारतरत्न दें : जीतनराम मांझी

हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के अध्यक्ष और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने यहां गुरुवार को कहा कि जननायक और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत कर्पूरी और पर्वत पुरुष दशरथ को को भारतरत्न दिया जाए;

Update: 2017-07-13 22:42 GMT

नई दिल्ली। हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (सेक्युलर) के अध्यक्ष और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने यहां गुरुवार को कहा कि जननायक और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत कर्पूरी ठाकुर और पर्वत पुरुष दशरथ मांझी को भारतरत्न दिया जाए। साथ ही सफाई कर्मचारी आयोग का गठन बिहार सहित देश के समस्त राज्यों में भी गठन किया जाए। उन्होंने दलित नेता रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाए जाने को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की तारीफ भी की। साथ ही बताया कि 15 जुलाई को दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में उनकी पार्टी कार्यकर्ता सम्मेलेन करने जा रही है।

बिहार की राजनीति में चल रहे गहमा-गहमी पर मांझी ने कहा कि नीतीश कुमार को उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को बर्खास्त कर देना चाहिए और अगर वह ऐसा नहीं कर रहे हैं तो फिर यह संभव है कि कुछ और करने की सोच रहे होंगे। 

अपनी पार्टी के इकलौता विधायक मांझी ने कहा, "बिहार के हित में अगर भाजपा बाहर से नीतीश को समर्थन करती है तो भी और नहीं भी करती है, तो भी हम व्यक्तिगत रूप से उन्हें समर्थन करेंगे, जिससे कि राजनीतिक स्थिरता बनी रहे और बिहार की जनता को उसका लाभ मिले।"

मांझी ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, "हमारी मांग है कि उच्च जाति के गरीबों को भी शिक्षा में आरक्षण मिलना चाहिए। गरीब को जाति के आधार पर पहचाना नहीं जाना चाहिए। उच्च जाति के बच्चों को भी आरक्षण मिलना चाहिए।"

उन्होंने विख्यात समाजवादी नेता दिवंगत कर्पूरी ठाकुर और 'माउंटेन मैन' दशरथ मांझी को भारतरत्न देने की मांग की।

मांझी ने कहा कि हिंदुस्तान किसानों का देश है और इस देश की आत्मा गावों में बसती है। इसलिए अगर हम अपने राज्य और देश के किसानों की स्थिति ठीक नहीं करते हैं तो समाज और देश का विकास संभव नहीं है। उन्होंने शिक्षित बेरोजगारों को भी 5000 रुपये की मासिक भत्ता दिए जाने की मांग की।

आरक्षण के मुद्दे पर मांझी ने कहा कि समाज के सभी वर्गों को आर्थिक आधार पर आरक्षण मिलना चाहिए। वहीं, शिक्षा में समानता की बात करते हुए कहा कि बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर ने भी समान शिक्षा की वकालत की थी और डॉ. रामनोहर लोहिया ने कहा था कि 'राष्ट्रपति का बेटा हो या भंगी की संतान, सबको शिक्षा एक समान'।

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