जी.आई. टैग नहीं मिलने पर बासमती चावल पैदा करने वाले किसानों में असंतोष होगा: शिवराज

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जी.आई. रजिस्ट्री द्वारा बासमती चावल के जी.आई. टैग के संबंध में लिये गये निर्णय के विरोध में शुक्रवार को नई दिल्ली में केन्द्रीय वाणिज्य मंत्री सुरेश;

Update: 2018-03-23 17:15 GMT

भोपाल। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जी.आई. रजिस्ट्री द्वारा बासमती चावल के जी.आई. टैग के संबंध में लिये गये निर्णय के विरोध में शुक्रवार को नई दिल्ली में केन्द्रीय वाणिज्य मंत्री सुरेश प्रभु, केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह और केन्द्रीय विदेश मंत्री श्रीमती सुषमा स्वराज से मुलाकात की और वस्तु-स्थिति से अवगत कराया।

मुख्यमंत्री @ChouhanShivraj ने नई दिल्ली में आज केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री @sureshpprabhu से भेंट कर मध्यप्रदेश के बासमती चावल के जी.आई. टैग (G.I.) के संबंध में लिये गये निर्णय की वस्तु-स्थिति से अवगत कराया। pic.twitter.com/UZXWie8W2u

— CMO Madhya Pradesh (@CMMadhyaPradesh) March 23, 2018


 

आधिकारिक जानकारी के अनुसार श्री चौहान ने केन्द्रीय मंत्रियों को वस्तु-स्थिति से अवगत कराते हुए कहा कि मध्यप्रदेश के 13 जिलों में लगभग 105 वर्षों से बासमती चावल का उत्पादन किया जा रहा है।

राज्य के लगभग 80 हजार किसान इस खेती से जुड़े हुए हैं। राज्य में उत्पादित बासमती चावल का लगभग तीन हजार करोड़ रुपये का निर्यात होता है तथा राज्य के बासमती की गुणवत्ता सभी स्तरों पर मान्य पायी गयी है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि मध्यप्रदेश के बासमती चावल को जी.आई. टैग नहीं मिलने पर बासमती चावल पैदा करने वाले किसानों में गहरा असंतोष होगा। बासमती टैग न मिलने के कारण किसानों को उनके चावल का सही मूल्य बाजार में नहीं मिल पायेगा। उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश के बासमती चावल का जी.आई. टैग का क्लेम न केवल ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित है, बल्कि बासमती चावल पैदा करने वाले जिलों की एग्रो क्लाइमेटिक कंडीशन भी विशेष प्रकार के बासमती चावल पैदा करने में सहायक है।

"मध्यप्रदेश के बासमती चावल को जी.आई. टैग नहीं मिलने पर बासमती चावल पैदा करने वाले किसानों में गहरा असंतोष होगा। बासमती टैग न मिलने के कारण किसानों को उनके चावल का सही मूल्य बाजार में नहीं मिल पायेगा।": मुख्यमंत्री

— CMO Madhya Pradesh (@CMMadhyaPradesh) March 23, 2018


 

"मध्यप्रदेश के 13 जिलों में लगभग 105 वर्षों से बासमती चावल का उत्पादन किया जा रहा है। राज्य के लगभग 80 हजार किसान इस खेती से जुड़े हुए हैं। राज्य के बासमती की गुणवत्ता सभी स्तरों पर मान्य पायी गयी है।": सीएम

— CMO Madhya Pradesh (@CMMadhyaPradesh) March 23, 2018


 

उन्होंने कहा कि इस निर्णय से न केवल राज्य के किसानों के हितों का नुकसान हुआ है बल्कि निर्यातकों को भी काफी घाटा सहना पड़ेगा। इस निर्णय से पूरे देश के बासमती चावल के निर्यातकों से प्राप्त होने वाली विदेशी मुद्रा में भारी गिरावट आयेगी। मध्यप्रदेश की एग्रो बायो क्लाइमेटिक कंडीशन पर राज्य के बासमती के प्रयोगशाला परीक्षण राज्य के क्लेम का समर्थन करते हैं।

श्री चौहान ने केन्द्रीय मंत्रियों से आग्रह किया कि वे किसानों और मध्यप्रदेश सरकार के हितों को ध्यान में रखते हुए प्रदेश के 13 जिलों में पैदा होने वाले चावल को बासमती जी.आई. टैग दिलवाने में सहयोग करें। इससे प्रदेश के किसानों, खासकर बासमती चावल पैदा करने वाले किसानों को उनके उत्पाद का सही मूल्य मिल सकेगा और जी.आई. टैग मिलने से बासमती चावल निर्यातकों के जरिये विदेशी मुद्रा में भी काफी बढ़ोत्तरी होगी। साथ ही मध्यप्रदेश के बासमती चावल की पहचान विश्व में बरकार रहेगी।

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