गाजियाबाद : नकली ट्रैफिक पुलिस करती मिली अवैध वसूली, असली एसएचओ निलंबित

उत्तर प्रदेश पुलिस ने गाजियाबाद के मसूरी थाना क्षेत्र में एक नकली पुलिस टीम को धर दबोचा;

Update: 2020-03-15 00:52 GMT

गाजियाबाद। उत्तर प्रदेश पुलिस ने गाजियाबाद के मसूरी थाना क्षेत्र में एक नकली पुलिस टीम को धर दबोचा। नकली पुलिस टीम सरेआम दिन-दहाड़े वाहन चालकों से अवैध वसूली में जुटी थी। असली पुलिस टीम की छापेमारी में पकड़ी गई नकली पुलिस टीम में ट्रैफिक इंस्पेक्टर, सब-इंस्पेक्टर और एक सिपाही शामिल है।

दिलचस्प बात यह कि जिला पुलिस कप्तान ने अवैध वसूली के इस गोरखधंधे के लिए सीधे-सीधे असली थाना प्रभारी (एसएचओ) को जिम्मेदार मानते हुए उसे तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। मामले की जांच पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) को सौंपी गई है।

गाजियाबाद जिले के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कलानिधि नैथानी ने शुक्रवार की इस घटना की जानकारी आईएएनएस को शनिवार को दी। एसएसपी के मुताबिक, जिला ट्रैफिक इंस्पेक्टर परमहंस तिवारी को नकली पुलिस वालों द्वारा अवैध वसूली किए जाने की सूचना मिली थी। योजना के मुताबिक छापेमारी कर नकली पुलिस टीम को रंगे हाथ पकड़ लिया गया।

नैथानी ने बताया कि गिरफ्तार शहजाद नकली पुलिस टीम में फर्जी ट्रैफिक इंस्पेक्टर बनता था, जबकि इंतजार और गुड्डू वाहन चालकों को जांच के नाम पर घेरकर उनसे वाहनों के दस्तावेज इकट्ठे करते थे। ये दोनों ही खुद को ट्रैफिक पुलिस का दारोगा-सिपाही बताया करते थे।

एसएसपी के अनुसार, जांच में पता चला है कि यह गोरखधंधा कई महीने से चल रहा था। चूंकि ये धंधेबाज खुद पुलिस वाले बनकर सड़क पर खड़े होते थे, लिहाजा किसी की हिम्मत उनके खिलाफ पुलिस महकमे में शिकायत करने की नहीं होती थी।

नैथानी ने बताया कि यह बेहद शातिराना अंदाज वाला गिरोह है। इन फर्जी ट्रैफिक पुलिस कर्मियों के पास से कई संदिग्ध चीजें मिली हैं। इनके पास से पुलिस की टोपी, बेल्ट वगैरह भी जब्त की गई हैं।

इस गिरोह को पकड़ने के लिए गाजियाबाद के एसएसपी ने जिले में नए-नए आए क्षेत्राधिकारी (सीओ) अवनीश कुमार की जिम्मेदारी दी थी, क्योंकि जिले में तैनात तमाम पुलिस अफसरान को ये ठग पहचान सकते थे। अवनीश कुमार चूंकि जिले में नए आए हैं, लिहाजा उन्हें पहचानने में यह ठग कंपनी चूक गई।

पता चला है कि यह ठग कंपनी कई साल से दिल्ली-गढ़ मुक्ते श्वर रोड पर पुलिसवाला बनकर अवैध वसूली का धंधा कर रही थी। इस ठग कंपनी को सलाह-मशविरा देने के आरोपी एक पुलिस क्षेत्राधिकारी के पूर्व चालक की भी तलाश की जा रही है।

एसएसपी ने आईएएनएस से कहा, "इस मामले की प्राथमिक जांच में मसूरी थाना प्रभारी नरेश कुमार सिंह की भूमिका संदिग्ध पाई गई। फिलहाल जांच पूरी होने तक नरेश को सस्पेंड कर दिया गया है। उनकी जगह अब मसूरी थाने का प्रभार जिला पुलिस सर्विलांस सेल प्रभारी उमेश पंवार को सौंपा गया है।"

नैथानी ने कहा कि अगर सड़क पर कहीं कोई सादा कपड़ों में ट्रैफिक या फिर सिविल पुलिसकर्मी चेकिंग करता हुआ पाया जाए, तो फोन नंबर 9454403434 पर सूचित किया जा सकता है, ताकि महकमे की बदनामी करने वालों को कानून के हवाले किया जा सके।

गाजियाबाद में इस तरह की ठगी का यह पहला मामला नहीं है। बीते महीने ही विजय नगर पुलिस ने एक फर्जी जज और दारोगा सहित तीन को पकड़ा था। सितंबर, 2019 में साहिबाबाद पुलिस ने खुद को डीएम का भाई बताने वाले एक ठग को सलाखों में डाल दिया। उसी महीने कवि नगर पुलिस ने एक फर्जी महिला दारोगा को गिरफ्तार किया था।

यह महिला खुद को दारोगा बताकर तीन-चार दिन तक जिला पुलिस लाइन के भीतर ठहरी थी। जबकि इस कांड का पदार्फाश होने से पहले अगस्त, 2019 में सिहानी गेट थाना पुलिस ने एक फर्जी सिपाही को वॉकी-टॉकी के साथ दबोचा था।

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