सूखे व अकाल से राहत दिलाने निकुम में प्रारंभ हुआ गणपति भद्रकाल्यै नम: महायज्ञ

तीर्थधाम देवी निकुंभला धाम व जय शक्ति आश्रम ग्राम निकुम में 20 सितंबर अमावश्या से 28 सितम्बर अष्टमी तक गणपति भद्रकाल्यै नम: महायज्ञ का आयोजन किया गया है;

Update: 2017-09-21 15:43 GMT

दुर्ग। तीर्थधाम देवी निकुंभला धाम व जय शक्ति आश्रम ग्राम निकुम में 20 सितंबर अमावश्या से 28 सितम्बर अष्टमी तक गणपति भद्रकाल्यै नम: महायज्ञ का आयोजन किया गया है। परम्परा के अनुसार महायज्ञ स्थल पर 1008 ज्योति कलश प्रज्जवलित होंगे। महायज्ञ की आहुति दो चरणों में सुबह 9 से 12 बजे व अपरान्ह 3 से 6 बजे तक होगी।

इसके बाद महाआरती के साथ प्रसाद का वितरण होगा. संतश्री माताजी ने कहा है कि जिस देवी ने अपनी शक्ति से सारे जगत को व्याप्त कर रखा है, जिसका स्वरूप सभी देवताओं का समूह है, जिसके अतुल प्रभाव एवं बल को भगवान विष्णु, शंकर व ब्रम्हा भी नहीं कह सकते, वही देवी भद्रकाली है। उन्होंने कहा कि देवी भद्रकाली लक्ष्मी स्वरूपा है। पापियों के घरों में दरिद्रता, पवित्र बुद्धि वालों के हृदय में बुद्धि, श्रेष्ठ पुरूष के यहां श्रद्धा, कुलीन मनुष्य में लज्जा का स्वरूप है. देवी भद्रकाली की आराधना से वैभव मिलता है। राज्य के विभिन्न स्थानों में असमय वर्षा व बारिश की कमी से सूखे व अकाल का खतरा मंडरा रहा है।

जन सामान्य को उस विषम परिस्थिति में साहस व राहत मिले एवं उनकी परेशानियां दूर हो, इसी उद्देश्य को लेकर गणपति व भद्रकाली का पूजन नवरात्रि के एक दिन पहले अमावस्या से शुरू किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि पंचमी से अष्टमी के बीच देवी की दस महाविधाओं महाकाली, उग्रतारा, षोडशी, भुवनेश्वरी, छिन्न मस्ता भैरवी, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी व कमला की आराधना होगी।

षोडशी में सृष्टिकर्त्ती त्रिपुरसुंदरी दस महा विधाओं में प्रमुख मानी गई है। मां कामाख्या इसी का स्वरूप है। इस महाविधा को सिद्ध कर लेने वाला व्यक्ति निर्लोभ होकर किसी की आंखों में देखकर, हाथ से स्पर्श कर, फूंक मारकर, पैर के अंगूठे से कुरेद कर या अभिमंत्रित जल देकर प्रत्येक शरणागत का कल्याण कर सकता है।

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