बिहार में बाढ़ का तांडव जारी, 103 प्रखंड प्रभावित

बिहार के 12 जिलों में बाढ़ का कहर अब भी जारी है। लोग अपना घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर शरण लिए हुए हैं। इस बीच रविवार को एक बार फिर कोसी के जलस्तर में वृद्धि देखी गई;

Update: 2019-07-22 04:17 GMT

पटना। बिहार के 12 जिलों में बाढ़ का कहर अब भी जारी है। लोग अपना घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर शरण लिए हुए हैं। इस बीच रविवार को एक बार फिर कोसी के जलस्तर में वृद्धि देखी गई। कई नदियां अभी भी खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दरभंगा और उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी मधुबनी पहुंचे। उन्होंने बाढ़ पीड़ितों से मुलाकात की और चलाए जा रहे राहत कार्यो की समीक्षा की। 

बिहार के 12 जिलों के 103 प्रखंडों की 1123 पंचायतों के 70 लाख से ज्यादा लोग बाढ़ से प्रभावित हैं। इस बीच, नेपाल से पानी आने के कारण कोसी नदी का जलस्तर एकबार फिर बढ़ गया है। 

बिहार जल संसाधन विभाग के प्रवक्ता अरविंद कुमार सिंह ने रविवार को बताया कि बागमती ढेंग, कनसार और बेनीबाद में खतरे के निशान से ऊपर बह रही है, वहीं कमला बलान और बूढ़ी गंडक भी कई क्षेत्रों में खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। 

कोसी का जलस्तर वीरपुर बैराज के पास रविवार को दोपहर 12 बजे 1़29 लाख क्यूसेक था जो अपराह्न् दो बजे बढ़कर 1़ 35 लाख क्यूसेक हो गया। गंडक नदी का जलस्तर भी वाल्मीकिनगर बराज के पास बढ़ा है। 

इस बीच, दरभंगा पहुंचे मुख्यमंत्री ने अलीनगर विधानसभा क्षेत्र के मिर्जापुर उत्क्रमित विद्यालय में शरण लिए हुए बाढ़ पीड़ितों से मुलाकात की। उन्होंने बाढ़ पीड़ितों से हालचाल पूछा और अधिकारियों को कई निर्देश दिए।

मधुबनी पहुंचे उपमुख्यमंत्री ने अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की। इस क्रम में उन्होंने पीएचईडी मंत्री विनोद नारायण झा के साथ राहत शिविरों का निरीक्षण किया। 

मोदी ने जिले की बाढ़ प्रभावित 30 हजार हेक्टेयर भूमि में से 22 हजार हेक्टेयर में लगी फसल की क्षति के बाबत कृषि विभाग को कम अवधि वाले धान, मक्का, दलहन व तेलहन के बीज किसानों को वैकल्पिक फसल के लिए उपलब्ध कराने का निर्देश दिया।

आपदा प्रबंधन विभाग का दावा है कि बाढ़ प्रभावित इलाकों में 131 राहत शिविर स्थापित किए गए हैं, जिनमें 1़ 14 लाख से ज्यादा लोग रह रहे हैं। 

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