पहले नागरिकता संशोधन कानून का अध्ययन करें, फिर बात करें छात्र : शाह

केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नागरिकता संशोधन कानून का विरोध कर रहे जामिया मिलिया इस्लामिया सहित सभी विद्यार्थियों से अपील की कि वे कानून का अध्ययन करें;

Update: 2019-12-18 02:02 GMT

नई दिल्ली। केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नागरिकता संशोधन कानून का विरोध कर रहे जामिया मिलिया इस्लामिया सहित सभी विद्यार्थियों से अपील की कि वे कानून का अध्ययन करें तथा फिर कोई समस्या हो तो सरकार चर्चा के लिए तैयार है।

श्री शाह ने यहां ‘एजेंडा आजतक’ के 8वें संस्करण के दूसरे दिन मंगलवार को समापन सत्र में साफ शब्दों में कहा, “मैं छात्रों से अपील करता हूं कि आप सब नागरिक संशोधन कानून का अच्छी तरह से अध्ययन करें। यदि उनको लगता है कि यह कानून किसी के भी खिलाफ है तो उन्हें जरूर सरकार के साथ चर्चा करनी चाहिए, हम तैयार हैं।”

गृह मंत्री ने उपद्रव करने वाले छात्रों पर पुलिस की कार्रवाई को उचित बताते हुए कहा कि जब विश्वविद्यालय के अंदर से पथराव होता है तथा कुछ छात्र या लोग बाहर निकलकर बसों को जलाते हैं और आगजनी करते हैं, अगर उस समय पुलिस कुछ नहीं करती है, तो इसका मतलब हुआ कि पुलिस सही से अपनी ड्यूटी नहीं कर रही। उन्होंने कहा कि गृह मंत्री होने के नाते उन्होंने दिल्ली पुलिस को कहा है कि वह दिल्ली में पूर्ण शांति स्थापित करे, ये उसकी जिम्मेदारी है। बाकी सब चीजों की बात शांति होने के बाद ही होगी।

उन्होंने कहा कि विपक्ष एकजुट होकर नागरिकता संशोधन कानून के विषय में अफवाहें फैला रहा है। उन्होंने कहा कि वह अल्पसंख्यक समुदाय के सभी भाइयों और बहनों को बताना चाहते हैं कि इस कानून से उनको रत्ती भर भी नुकसान नहीं होने वाला है। क्योंकि ये नागरिकता लेने का नहीं अपितु देने का कानून है।

राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर को देश में लागू करने का संकल्प दोहराते हुए उन्होंने फिर कहा कि इस रजिस्टर में धर्म के आधार पर कोई कार्रवाई नहीं होगी। जो कोई भी एनआरसी के तहत इस देश का नागरिक नहीं पाया जाएगा, उसे देश से बाहर निकाला जाएगा। सिर्फ मुसलमानों के लिए एनआरसी होगी ये कहना पूर्णतः गलत है।

श्री शाह ने पाकिस्तान द्वारा नेहरू-लियाकत समझौते का अमल नहीं किये जाने का उल्लेख करते हुए कहा कि इस करार का अनुपालन नहीं होने के बाद वहां के अल्पसंख्यकों काे भारत की नागरिकता लेने के लिए मजबूर होना पड़ा है। कांग्रेस ने अपने वोट बैंक के खातिर इन लोगों को 70 साल तक नर्क की जिंदगी जीने के लिए मजबूर किया। इस नागरिकता संशोधन कानून के बनने के बाद अब वो सम्मान के साथ जी पाएंगे, अपनी बच्चियों की रक्षा कर पाएंगे और अपने धर्म को बचा पाएंगे।

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