नेशनल हेराल्ड केस में गांधी परिवार को बड़ी राहत, कोर्ट ने ED की चार्जशीट पर संज्ञान लेने से किया इनकार

दिल्ली की विशेष अदालत ने ED की चार्जशीट पर संज्ञान लेने से इनकार कर दिया है।अदालत ने कहा कि CBI ने मूल अपराध दर्ज नहीं किया है, फिर भी ED ने जांच जारी रखी है।;

Update: 2025-12-16 05:52 GMT

नई दिल्ली। नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कांग्रेस नेताओं सोनिया गांधी और राहुल गांधी को बड़ी राहत मिली है। दिल्ली की राउज़ एवेन्यू कोर्ट ने मंगलवार को प्रवर्तन निदेशालय (ED) की ओर से दाखिल चार्जशीट पर संज्ञान लेने से इनकार कर दिया। कोर्ट के इस फैसले को कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी के लिए अहम कानूनी जीत के तौर पर देखा जा रहा है। 

कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि मनी लॉन्ड्रिंग की जांच और उससे जुड़ी अभियोजन प्रक्रिया तब तक वैध नहीं मानी जा सकती, जब तक कि अपराध में विधिवत FIR दर्ज न हो। कोर्ट ने कहा कि PMLA (प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट) के प्रावधानों के तहत ईडी को जांच शुरू करने से पहले संबंधित अपराध में एफआईआर का होना अनिवार्य है।

सुनवाई के दौरान क्या हुआ?

मामले की सुनवाई के दौरान जज ने आदेश पढ़ना शुरू किया। सबसे पहले अदालत ने EOW (Economic Offences Wing) की शिकायत से जुड़े रिवीजन पिटीशन पर आदेश सुनाया।

अदालत ने जांच की बुनियाद पर सवाल उठाते हुए कहा कि अब तक CBI की ओर से कोई प्रेडिकेट (Scheduled) अपराध दर्ज नहीं किया गया है, इसके बावजूद ED ने PMLA के तहत जांच आगे बढ़ाई। कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि इस स्तर पर आरोपियों, जिनमें सोनिया गांधी और राहुल गांधी शामिल हैं, को FIR की कॉपी नहीं दी जाएगी।

कोर्ट की अहम टिप्पणी

दिल्ली कोर्ट ने ED की जांच पर बड़ा सवाल उठाते हुए कहा कि CBI ने अब तक कोई प्रेडिकेट ऑफेंस दर्ज नहीं किया है, इसके बावजूद ED ने जांच जारी रखी।' कोर्ट ने यह भी कहा कि जब मूल अपराध (Predicate Offence) ही दर्ज नहीं है, तो मनी लॉन्ड्रिंग की जांच कैसे आगे बढ़ाई जा सकती है।

गांधी परिवार के लिए बड़ी जीत

कोर्ट के इस फैसले को कांग्रेस नेतृत्व के लिए बड़ी कानूनी राहत माना जा रहा है, क्योंकि इससे फिलहाल मामले के ट्रायल की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पाएगी। ED ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि नेशनल हेराल्ड अखबार के प्रकाशक एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) की संपत्तियों को यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड के ज़रिए अवैध तरीके से हासिल कर मनी लॉन्ड्रिंग की गई।

वहीं कांग्रेस ने सभी आरोपों को नकारते हुए इसे राजनीति से प्रेरित मामला बताया है और कहा है कि इसमें किसी तरह का निजी आर्थिक लाभ नहीं लिया गया।

यह मामला राउज़ एवेन्यू कोर्ट में सुनवाई के लिए आया था, जहां अदालत ने ED की ओर से दाखिल विस्तृत रिकॉर्ड की जांच के बाद फैसला सुरक्षित रखा था। अब कोर्ट द्वारा संज्ञान लेने से इनकार किए जाने के बाद, ED के अगले कानूनी कदमों पर सभी की नजरें टिकी हैं।

दिल्ली कोर्ट के आदेश का क्या मतलब है?

नेशनल हेराल्ड मामले में अदालत के आदेश पर ईडी सूत्रों का कहना है कि कोर्ट ने यह फैसला केवल तकनीकी आधार पर दिया है और मामले के गुण-दोष यानी मेरिट पर कोई टिप्पणी नहीं की है। सूत्रों के मुताबिक दिल्ली पुलिस द्वारा एफआईआर दर्ज किए जाने के बाद ईडी अपनी जांच जारी रखेगी और जैसे ही दिल्ली पुलिस चार्जशीट दाखिल करेगी, उसके बाद ईडी दोबारा चार्जशीट पेश करेगी। ईडी का दावा है कि यह मनी लॉन्ड्रिंग का स्पष्ट मामला है।

नेशनल हेराल्ड केस में कांग्रेस के इन नेताओं पर आरोप

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने नेशनल हेराल्ड मामले में दाखिल अपनी चार्जशीट में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, सैम पित्रोदा, सुमन दुबे, सुनील भंडारी के अलावा यंग इंडियन और डोटेक्स मर्चेंडाइज प्राइवेट लिमिटेड को आरोपी बनाया था। इस जांच को लेकर कांग्रेस ने आरोप लगाया कि ईडी की कार्रवाई पूरी तरह राजनीतिक बदले की भावना से की जा रही है. जबकि ईडी ने एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) की 2 हजार करोड़ रुपये से अधिक की संपत्तियों को गलत तरीके से हड़पने का आरोप भी लगाया है।

कोर्ट के फैसले पर कांग्रेस ने क्या कहा?

कांग्रेस अपने आधिकारिक एक्स खाते से एक पोस्ट में लिखा, सत्य की जीत हुई है। (नरेंद्र) मोदी सरकार की बदनीयत और गैरकानूनी तरीके से की गई कार्रवाई पूरी तरह से बेनकाब हो गई है। माननीय अदालत ने यंग इंडियन मामले में कांग्रेस नेतृत्व सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ ईडी की कार्रवाई को अवैध और दुर्भावना से ग्रसित पाया है। कोर्ट ने फैसला दिया है कि ईडी का मामला क्षेत्राधिकार से बाहर है, उसके पास कोई प्राथमिकी नहीं है जिसके बिना कोई मामला ही नहीं बनता।

पार्टी ने आगे कहा, मोदी सरकार द्वारा पिछले एक दशक से मुख्य विपक्षी दल के खिलाफ, राजनीतिक प्रतिशोध और बदले की भावना से की जा रही यह कार्रवाई आज पूरे देश के सामने बेनकाब हो गई है। धनशोधन का कोई मामला नहीं, अपराध की कोई आय नहीं और संपत्ति का कोई हस्तांतरण नहीं, यह सभी निराधार आरोप जो निम्न स्तर की राजनीति, द्वेष की भावना और सम्मान पर हमला करने की भावना से प्रेरित हैं, आज सब धराशायी हो गए। कांग्रेस पार्टी और हमारा नेतृत्व सत्य के लिए और हर भारतीय के अधिकारों के लिए लड़ने के लिए प्रतिबद्ध है। हमें कोई भी डरा नहीं सकता, क्योंकि हम सत्य के लिए लड़ते हैं। सत्यमेव जयते।

क्या है नेशनल हेराल्ड केस

भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने 2012 में दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में एक याचिका दाखिल करते हुए सोनिया, राहुल और कांग्रेस के ही मोतीलाल वोरा, ऑस्कर फर्नांडीज, सैम पित्रोदा और सुमन दुबे पर घाटे में चल रहे नेशनल हेराल्ड अखबार को धोखाधड़ी और पैसों की हेराफेरी के जरिए हड़पने का आरोप लगाया था।

आरोप के मुताबिक, कांग्रेसी नेताओं ने नेशनल हेराल्ड की संपत्तियों पर कब्जे के लिए यंग इंडियन लिमिटेड ऑर्गेनाइजेशन नाम की संस्था बनाई, जिसकी अधिकतर हिस्सेदारी गांधी परिवार के पास है। यंग इंडियन के जरिए नेशनल हेराल्ड का प्रकाशन करने वाली AJL का अवैध अधिग्रहण कर लिया। स्वामी का आरोप था कि ये सब दिल्ली के बहादुर शाह जफर मार्ग स्थित हेराल्ड हाउस की ₹2000 करोड़ की बिल्डिंग पर कब्जा करने के लिए किया गया था।

आरोप है मुताबिक, ₹2000 करोड़ की कंपनी को केवल ₹50 लाख में खरीदा गया। सुब्रमण्यम स्वामी ने सोनिया, राहुल समेत केस से जुड़े कांग्रेस के अन्य नेताओं के खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलाने की मांग की थी। आरोपियों में से मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडीज की अब मौत हो चुकी है।

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