असम में दुष्कर्म और हत्या मामलों के लिए फास्ट ट्रैक अदालतें

गुवाहाटी उच्च न्यायालय ने गुरुवार को असम में विशेष फास्ट-ट्रैक अदालतों की स्थापना के लिए मंजूरी दे दी;

Update: 2018-03-29 21:34 GMT

गुवाहाटी। गुवाहाटी उच्च न्यायालय ने गुरुवार को असम में विशेष फास्ट-ट्रैक अदालतों की स्थापना के लिए मंजूरी दे दी। इन अदालतों में महिलाओं और बच्चों के साथ दुष्कर्म व हत्या से संबंधित मामलों की रोजाना सुनवाई होगी। अदालत ने यह आदेश असम के मुख्यमंत्री सबार्नंद सोनोवाल द्वारा 26 मार्च को गुवाहाटी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखने के बाद दिया है।

अदालत द्वारा जारी एक बयान में कहा गया, "मुख्य न्यायाधीश और कई वरिष्ठ न्यायाधीशों वाली एक प्रशासनिक समिति ने मुख्य न्यायाधीश के कार्यालय में हुई बैठक में इस मामले को मंजूरी दी है।"

अदालत ने कहा कि समिति तौर तरीकों पर भी काम करेगी और तीन दिन के भीतर अपनी रिपोर्ट दाखिल करेगी।

सोनोवाल ने नागांव जिले में एक नाबालिग लड़की के साथ वीभत्स दुष्कर्म और हत्या व इसी तरह के मामलों पर गंभीर चिंता जताई थी।

सोनोवाल ने अफसोस जताते हुए कहा था कि असमिया समाज में जहां महिलाओं को परंपरागत रूप से उच्च सम्मान दिया जाता है, वहां समाज को इस तरह के वीभत्स अपराधों का सामना करना पड़ता है। 

सोनोवाल ने अपने पत्र में गुवाहाटी उच्च न्यायालय द्वारा वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1971 के तहत मामलों के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट स्थापित करने के प्रयासों की सराहना की थी जिसने दोषियों को तेजी से सजा और असम में शिकार की घटनाओं को कम करने के लिए प्रेरित किया।

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