सरकार की उदासीनता से खुले में आलू फेंकने को मजबूर किसान : कांग्रेस

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को किसान विरोधी करार देते हुए कांग्रेस ने कहा कि आलू का न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित नहीं होने से हताश किसानों को अपनी उपज खुले में फेंकने काे मजबूर होना पड़ रहा है;

Update: 2018-12-02 23:20 GMT

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार को किसान विरोधी करार देते हुये कांग्रेस ने कहा कि आलू का न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित नहीं होने से हताश किसानों को अपनी उपज खुले में फेंकने काे मजबूर होना पड़ रहा है।

प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता ओंकारनाथ सिंह ने रविवार को जारी बयान में कहा कि किसान सरकार के कामकाज से इतना दुःखी हो चुके हैं कि अब वह नये आलू को भी फेंक रहे हैं। एक तरफ क्रय केन्द्र न खुलने से खुले बाजार में सस्ती दरों पर धान बेंचने के लिए किसान बाध्य है और दूसरी तरफ आलू का न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित न करने के कारण उसका कोई भी भाव किसान को नहीं मिल पा रहा है इसलिए उनके पास आलू को फेंकने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है। पूर्वांचल की कई गन्ना मिलें भी अभी चालू नहीं हो पायी हैं इस कारण गेहूं की बुआई में भी देरी हो रही है। किसान बेहाल और परेशान है।

प्रवक्ता ने कहा कि किसानों के पास कोई स्टोरेज की व्यवस्था नहीं होती है इसलिए फसलों को काटने के बाद वह तुरन्त उसे बाजार में बेंचने का प्रयास करता है। जिससे परिवार की जीविका एवं भरण-पोषण कर सके और दूसरी फसल की बुआई के लिए धन की व्यवस्था कर सके लेकिन सरकार के हाथ खड़े कर देने के लिए किसान असहाय और लाचार है। इसलिए उसके पास अपनी खून-पसीने की कमाई को फेंकने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं बचता। 

हरदोई एवं बाराबंकी के किसानों ने आज आलू की नई फसल को फेंककर सरकार से विरोध जताया है। अभी दो दिन पूर्व देश भर के किसानों ने दिल्ली में केन्द्र सरकार से अपनी समस्याओं का पूरा ब्यौरा बताया लेकिन लगता है कि सरकार केवल उद्योगपतियों की मदद के लिए ही बनी हुई है किसानों की समस्या का समाधान उनके एजेण्डे में नहीं है।

श्री सिंह ने कहा कि राज्य सरकार को किसानों की इस समस्या का समाधान करने के लिए अविलम्ब त्वरित कार्यवाही करनी चाहिए जिससे किसान अपनी उपज को फेंकने के लिए मजबूर न हो और उसे अपनी उपज का सही मूल्य मिल सके।

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