कठुआ मामले में फैक्ट फाइंडिंग टीम ने गृहमंत्री को सौंपी रिपोर्ट
जम्मू एवं कश्मीर के कठुआ में आठ साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म की घटना के तथ्य जुटाने वाली टीम ने मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग करते हुए अपनी रपट शुक्रवार को गृहमंत्री राजनाथ सिंह को सौंपी।;
नई दिल्ली। जम्मू एवं कश्मीर के कठुआ में आठ साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म की घटना के तथ्य जुटाने वाली टीम ने मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से कराने की मांग करते हुए अपनी रपट शुक्रवार को गृहमंत्री राजनाथ सिंह को सौंपी। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) में मंत्री जितेंद्र सिंह ने टीम को भरोसा दिलाया कि यह रपट अदालत को अग्रसारित की जाएगी। पांच सदस्यीय यह टीम बुद्धिजीवियों और अकादमिक क्षेत्र के लोगों का एक समूह है, जिसमें अवकाश प्राप्त न्यायाधीश, अधिकवक्ता, पत्रकार, प्रोफेसर और शिक्षाविद शामिल हैं। टीम ने जितेंद्र सिंह से उनके आवास पर मिलकर उन्हें रपट सौंपी। बाद में यह रपट गृहमंत्री को सौंप दी गई।
जम्मू एवं कश्मीर के कठुआ जिला स्थित हीरानगर में दुष्कर्म और हत्या की इस घटना को लेकर लोगों ने काफी नाराजगी जाहिर की और इसके कारण प्रदेश में महबूबा मुफ्ती की अगुवाई वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की गठबंधन सरकार में भाजपा के दो मंत्रियों की छुट्टी कर दी गई।
जितेंद्र सिंह ने कहा, "तथ्यान्वेषी टीम ने कुछ टिप्पणी की है। दरअसल, मामला विचाराधीन है, इसलिए इसपर सार्वजनिक रूप ज्यादा बोलना ठीक नहीं होगा।"उन्होंने कहा, "बस इतना कहूंगा कि बर्बर अपराध के लिए किसी को माफ नहीं किया जा सकता है। जितना संभव हो सख्त से सख्त सजा होनी चाहिए। साथ ही, यह देखना भी हम सबकी जिम्मेदारी है कि अगर कोई निर्दोष है तो उसे नुकसान नहीं होना चाहिए। मुझे पक्का विश्वास है कि अदालत इसका पूरा-पूरा ध्यान रखेगी और टीम की रपट संबद्ध अदालत को भेज दी जाएगी।"
टीम की सदस्य और सर्वोच्च न्यायालय की अधिवक्ता मोनिका अरोड़ा ने कहा, "टीम ने 23 और 24 अप्रैल को कठुआ का दौरा किया और पाया कि जम्मू एवं कश्मीर पुलिस की जांच में कई त्रुटियां हैं।"
अरोड़ा ने कहा, "हमने पीड़िता के परिवार, आरोपियों, पुलिस अधिकारियों, सरकार और कठुआ के लोगों से बातचीत की और पाया कि जो जमीनी हकीकत है, वह पुलिस के आरोप-पत्र में नहीं है और जो आरोप-पत्र में है, वह जमीनी हकीकत नहीं है।"
उन्होंने कहा, "जांच बिल्कुल नकारा है और इसमें कई त्रुटियों व अनुत्तरित सवाल हैं। हम सरकार और अदालत से मामले की जांच सीबीआई से करवाने की मांग करते हैं, ताकि पीड़िता को इंसाफ मिले।"