सुप्रीम कोर्ट के फैसले बाद भी पेंशनर्स के खाते में पैसा नहीं आया!
सर्वोच्च न्यायालय ने ईपीएस-95 (इंप्लायज पेंशन स्कीम) के पेंशनर्स के लिए पेंशन में बढ़ोतरी का रास्ता साफ करने का फैसला सुना दिया;
नई दिल्ली । सर्वोच्च न्यायालय ने ईपीएस-95 (इंप्लायज पेंशन स्कीम) के पेंशनर्स के लिए पेंशन में बढ़ोतरी का रास्ता साफ करने का फैसला सुना दिया है, लेकिन इस फैसले के बाद भी पेंशनर्स के खाते में पैसा नहीं आया है। कर्मचारी इससे नाराज हैं।
राष्ट्रीय संघर्ष समिति (एनएसी) के अध्यक्ष अशोक राउत ने जारी एक बयान में कहा है कि सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद भी अभी तक ईपीएस-95 पेंशनर्स के खाते में पैसा नहीं आया है। उन्होंने भारतीय मजदूर संघ के अखिल भारतीय महामंत्री और सीबीटी (केंद्रीय न्यासी बोर्ड) के प्रतिनिधि बृजेश उपाध्याय के बयान पर भी रोष जताया है कि ईपीएफओ के पास बढ़ी हुई पेंशन देने के लिए पैसा नहीं है।
उपाध्याय ने कहा है कि ईपीएस-95 के पेंशनर्स को पेंशन देने के लिए सरकार को मदद करनी होगी। अगर बिना किसी मदद के इस निर्णय को अमल में लाया गया तो चार साल में ईपीएफओ का सारा फंड खत्म हो जाएगा।
राउत ने कहा, "भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) के महामंत्री सरकार के पक्ष में हैं या कामगारों के पक्ष में, यह पता नहीं चल रहा है। बीएमएस के महामंत्री के इस बयान की राजस्थान, महाराष्ट्र, दिल्ली सहित पूरे भारत में निंदा हो रही है। 26 राज्यों में फैले ईपीएस संगठन ने निंदा की है।"
राउत ने कहा, "बीएमएस के महामंत्री यह नहीं जानते कि ईपीएस पेंशनर्स के 3.75 लाख करोड़ रुपये ईपीएफओ के पेंशन फंड में हैं, लेकिन पता नहीं वह कौन से सरकारी फंड की बात कर रहे हैं। अगर भारतीय मजदूर संघ के अखिल भारतीय महामंत्री ने श्रमिक विरोधी बयान वापस नहीं लिया तो बीएमएस के दिल्ली स्थित कार्यालय पर राष्ट्रीय संघर्ष समिति की ओर से उनके खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।"
सर्वोच्च न्यायालय ने ईपीएफओ की याचिका खारिज करते हुए एक अप्रैल को केरल उच्च न्यायालय के उसे फैसले को बरकरार रखा है, जिसमें ईपीएस-95 के पेंशनर्स को उनके पूरे वेतन के हिसाब से बढ़ी हुई पेंशन देने का आदेश दिया गया था।
अशोक राउत ने कहा, "अभी तक सर्वोच्च न्यायालय के फैसले पर अमल नहीं किया गया। इस मामले में ईपीएफओ ने दूसरी याचिका दायर की है, जिसका फैसला दो मई को होगा।"
उन्होंने कहा है, "1 सितंबर, 2014 के बाद ईपीएस के जो लोग रिटायर हुए हैं, ईपीएफओ और सरकार ने पूरे वेतन पर उनकी पेंशन बंद कर दी थी। ईपीएस-95 के कुछ पेंशनधारक इस फैसले के खिलाफ केरल उच्च न्यायालय गए। केरल उच्च न्यायालय ने कहा कि ईपीएफओ ऐसा नहीं कर सकती और जो लोग पूरे वेतन पर पेंशन चाहते हैं, वे पूरे वेतन पर अंशदान दें और पूरे वेतन पर पेंशन लें। ईपीएफओ ने पांच साल की पेंशन को औसत पेंशन माना था। इस पर केरल उच्च न्यायालय ने कहा कि पिछले साल का वेतन ही औसत माना जा सकता है।"
केरल उच्च न्यायालय ने ईपीएफओ के खिलाफ और कर्मचारियों के पक्ष में फैसला दिया। इसके खिलाफ ईपीएफओ ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। सर्वोच्च न्यायालय ने एक अप्रैल को याचिका खारिज करते हुए ईपीएस पेंशनरों के पक्ष में फैसला दिया।
मौजूदा समय में ईपीएफओ पेंशन की गणना हर महीने में 1250 रुपये (15000 का 8.33 फीसदी) के हिसाब से करता है। कर्मचारियों के मूल वेतन का 12 फीसदी हिस्सा पीएफ में जाता है और 12 फीसदी उनके नाम से नियोक्ता जमा करता है। कंपनी की 12 फीसदी हिस्सेदारी में 8.33 फीसदी हिस्सा पेंशन फंड में जाता और बाकी 3.66 फीसदी पीएफ में जाता है। केरल उच्च न्यायालय ने ईपीएफओ को आदेश दिया था कि सेवानिवृत्ति पर सभी कर्मचारियों को उनके पूरे वेतन के हिसाब से पेंशन मिलनी चाहिए।