एससी-एसटी कानून कमजोर करने से न्यापालिका से भरोसा उठेगा : एमनेस्टी

एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया ने कहा कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार रोकथाम) कानून को कमजोर करने से देश में वर्षो से हासिये पर रहे समुदायों का आपराधिक न्याय प्रणाली से भरोसा समाप्त हो जाएगा;

Update: 2018-05-01 00:23 GMT

नई दिल्ली। एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया ने सोमवार को कहा कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार रोकथाम) कानून को कमजोर करने से देश में वर्षो से हासिये पर रहे समुदायों का आपराधिक न्याय प्रणाली से भरोसा समाप्त हो जाएगा। एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के कार्यकारी निदेशक आकार पटेल ने कहा, "सर्वोच्च न्यायालय साक्ष्यों को दबाने वाले आंकड़ों के आधार पर इस संदेहपूर्ण नतीजों पर पहुंचा है कि कानून का खासतौर से दुररुपयोग चिंताजनक है, जबकि इस देश में रोज दलितों और आदिवासियों के साथ हो रही हिंसा की उपेक्षा कर दी गई है।" 

उन्होंने यह बयान एक मई को देशभर में दलितों और आदिवासियों द्वारा इस संबंध में शीर्ष अदालत के 20 मार्च के फैसले के विरोध में होने वाले प्रदर्शन के एक दिन पहले दिया है।

उन्होंने कहा, "बथानी टोला, कंबालापल्ली और खरलंज के जातीय नरसंहार के मामलों में पीड़ितों को न्याय दिलाने में आपराधिक न्याय प्रणाली विफल रही है। कानून को कमजोर करने से दलितों और आदिवासियों के लिए इंसाफ मिलना और मुश्किल हो जाएगा।"

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