डोनाल्ड ट्रंप ने की ईरान परमाणु समझौते से अलग होने की घोषणा
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान के साथ हुए ऐतिहासिक अंतरराष्ट्रीय परमाणु समझौते से अमेरिका के अलग होने की घोषणा की है;
वाशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान के साथ हुए ऐतिहासिक अंतरराष्ट्रीय परमाणु समझौते से अमेरिका के अलग होने की घोषणा की है।
Statement on the Iran Nuclear Deal: https://t.co/O3SpryCKkc
ट्रंप ने व्हाइट हाउस से प्रसारित अपने टेलीविजन भाषण में आज इस फैसले की घोषणा की। ट्रंप ने अपने संबोधन में कहा कि वह इस एकतरफा समझौते को कमजोर करने के लिए ईरान पर अमेरिकी आर्थिक प्रतिबंधों को फिर से शुरू करेंगे। ट्रंप ने अपने संबाेधन में इस समझौते को अप्रासंगिक करार दिया। अमेरिका के इस फैसले से पश्चिम एशिया में संघर्ष का खतरा बढ़ने के अलावा वैश्विक तेल आपूर्ति को लेकर भी अनिश्चितता बढ़ गई है।
"Finally, I want to deliver a message to the long-suffering people of Iran. The people of America stand with you." pic.twitter.com/TsrheA7rUz
ट्रंप ने 2015 में पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के कार्यकाल के दौरान हुए इस समझौते को सबसे खराब करार दिया था। ट्रंप के मुताबिक ऐतिहासिक कूटनीतिक जीत माने जाने वाले इस समझौते में ईरान के बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम का स्पष्ट रूप से उल्लेख नहीं किया गया है।
"At the heart of the Iran deal was a giant fiction: that a murderous regime desired only a peaceful nuclear energy program. Today, we have definitive proof that this Iranian promise was a lie." pic.twitter.com/9m4VBjnHj7
इसके अलावा वर्ष 2025 के बाद ईरान की परमाणु गतिविधियों तथा यमन और सीरिया में उसकी भूमिका को लेकर भी कोई बात नहीं की गयी है। ट्रंप ने कहा कि यह समझौता ईरान काे परमाणु हथियार बनाने से राेकने में असमर्थ है। ट्रंप ने अपने संबोधन में ईरान के शासकों की आलोचना करते हुए कहा कि ईरान का भविष्य वहां के लोगों से है।
The Iran Deal is defective at its core. If we do nothing, we know what will happen. In just a short time, the world’s leading state sponsor of terror will be on the cusp of acquiring the world’s most dangerous weapons.... pic.twitter.com/58qwBLzxIH
एक पश्चिमी राजनयिक ने ट्रंप के इस फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति का यह फैसला उनके यूरोपीय सहयोगियों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचायेगा।
ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने ट्रंप के इस फैसले की निंदा करते हुए कहा कि ईरान अमेरिका के बिना भी इस अंतरराष्ट्रीय समझौते से जुड़ा रहेगा। ईरान के सरकारी टेलीविजन के मुताबिक अमेरिकी राष्ट्रपति का इस समझौते से बाहर होने का फैसला गैरकानूनी होने के अलावा अंतरराष्ट्रीय समझौतों को कमजोर करता है।
अमेरिकी वित्त मंत्रालय के अनुसार ईरान के ऊर्जा, ऑटो और वित्तीय क्षेत्रों से संबंधित प्रतिबंधों को तीन से छह माह के भीतर दोबारा लगाया जायेगा। प्रतिबंधों के दोबारा लागू होने से ईरान को अपने कच्चे तेल के निर्यात के अलावा अंतरराष्ट्रीय बैंकिंग प्रणाली का उपयोग करने में काफी समस्या का सामना करना पड़ेगा।
वहीं पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने ट्रंप के इस फैसले को पथभ्रमित करार दिया है।
There are few issues more important to the security of the US than the potential spread of nuclear weapons or the potential for even more destructive war in the Middle East. Today’s decision to put the JCPOA at risk is a serious mistake. My full statement: https://t.co/4oTdXESbxe
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ट्रंप के इस फैसले का स्वागत किया है। नेतन्याहू ने टेलीविजन पर प्रसारित अपने संबोधन में कहा कि वह ईरान परमाणु समझौते से अलग होने के अमेरिका के इस कड़े फैसले का पूरा समर्थन करते हैं। इजरायली प्रधानमंत्री ने ट्रंप की ईरान नीति की सराहना करते हुए सीरिया में जारी संघर्ष का भी उल्लेख किया।
Thank you President Trump for your bold decision and your commitment to prevent Iran from ever getting nuclear weapons. @realDonaldTrump pic.twitter.com/F8lldwqhID
Israel fully supports @realDonaldTrump’s bold decision today to reject the disastrous nuclear deal with the terrorist regime in Tehran. The deal didn’t push war further away; it actually brought it closer. The deal didn’t reduce Iran’s aggression; it dramatically increased it. pic.twitter.com/sxJHocLqu7
הנשיא טראמפ קיבל היום החלטה אמיצה ונכונה. אני וכל עם ישראל מעריכים מאוד את ההחלטה הנחושה שלו לבלום את ההסכם הרע הזה ולבלום את התוקפנות של איראן pic.twitter.com/5mejb13mR9
पश्चिम एशिया में ईरान के चिरप्रतिद्वंदी माने जाने वाले सऊदी अरब के अलावा अमेरिका के अन्य सहयोगी अरब देशों ने भी ट्रंप के इस फैसले का स्वागत किया है।
गौरतलब है कि वर्ष 2015 में ईरान ने अमेरिका, चीन, रूस, जर्मनी, फ्रांस और ब्रिटेन के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इस समझौते के तहत ईरान ने उस पर लगे आर्थिक प्रतिबंधों को हटाने के बदले अपने परमाणु कार्यक्रम को सीमित करने पर सहमति जताई थी।